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मेरी कहानी: 20 साल की लड़की के साथ वर्जिन सेक्स अनुभव

Posted on:- 2024-08-30


नमस्कार दोस्तो, मैं आपकी नीलांशी ! हम पीरा गढ़ी, दिल्ली की रहने वाली हूं। मेरी उम्र अभी 20 साल की है। हम एकदम गोरी चिट्टी और सुडौल और सेक्सी लड़की हूं जो हर वक्त चुदाई के लिए बेकरार रहती है। मेरे जिस्म का साइज है 32-26-34 अब आप समझ सकते हैं कि मैं एक पतले लम्बे शरीर की अप्सरा हूँ । और मेरे प्यारे दोस्तो, मैं आपकी अपनी नीलांशी आप सब के लिए लेकर आ रही हूं मेरी वर्जिन सेक्स स्टोरी के एक से एक बढ़िया किस्से! जो मैं एक शृंखला में आपके सामने पेश करने वाली हूं। मेरी वर्जिन सेक्स स्टोरी से लेकर अब तक के बेहतरीन चुदाई के पल मैं आपके साथ साझा करने जा रही हूं। तो दोस्तो, आप अपना लन्ड और मेरी प्यारी बहनो, आप अपनी चूत थाम के इस कहानी और मेरी पूरी शृंखला का मजा लीजिए। तो चलिए बढ़ते हैं मेरी पहली कहानी की ओर! जब मेरी पहली चुदाई हुई यानि मेरी सील टूटी। मेरी ये वर्जिन सेक्स स्टोरी कई साल पहले की है जब मैं एक बनियान की दूकान पर काम करती थी । मेरे घर में मां, पापा और मेरी बड़ी बहन हम चारों का परिवार था। पापा की बहुत बड़ी मिठाई की दुकान थी; मम्मी एक बुटीक चलाती थी। तो पैसों की तो कोई कमी थी नहीं। इसी कारण मैं बहुत बिगड़ गई थी। इसका एक कारण मेरी अपनी मॉम भी थी। मैंने कई लोगों से भी और मम्मी पापा के झगड़े के वक्त भी सुना था कि मेरी मॉम भी कई पड़ोसियों के साथ अपनी चूत का मजा दे चुकी थी । बिरादरी में और बाहर भी उसके कई लोगों से नाजायज संबंध हैं। मतलब मेरी मॉम चुदाई में माहिर थी। मेरी मॉम की वर्जिन बहुत ढीली पड़ गई थी , माँ ने अपनी चुदाई बहुत अधिक करवाई| और शायद उसके ये गुण मुझमें आ गए। पापा तो गुस्से में आकर उसे हमारे सामने ही रण्डी बोला करते। मेरी दीदी बहुत ही शांत स्वभाव की थी; लेकिन मैं एकदम उनसे उलट थी। लेकिन अब तक मेरी बुर की सील नहीं टूटी थी। हां मैं मोबाइल पर पोर्न देखकर उंगली करना सीख गई थी। और मेरी जवानी उछल रही थी। मेरे बूब्स बड़े हो रहे थे और चूत पर छोटे छोटे बाल आने लगे थे। जैसे मैंने बताया, मैं एकदम गोरी और चिकनी थी, तो सब लौंडों की नजर मुझ पर थी। लेकिन मैं किसके हाथ न आती थी। बात तब की है जब मैं 11वी कक्षा में पढ़ती थी। मैं गणित में थोड़ी सी कमज़ोर थी। कभी ठीक से गणित होम वर्क नहीं करती तो कभी ग्रेड्स कम आते इसलिए सब टीचर मुझे गुस्सा होते और पनिशमेंट भी मिलती मुझे! पर अब मैंने ठान लिया कि अब मुझे अपने सेक्सी होने का उपयोग करके ही 12वीं में पास होना पड़ेगा। तो पहली बारी थी हमारे मैथ के टीचर विजय सर की। गणित की तो बहुत बड़ी समस्या थी मेरी, कुछ पल्ले न पड़ता। और विजय सर भी थे बांके जवान, 30 साल की उमर वाले हट्टे कट्टे, फ्रेंच वाली दाढ़ी स्पाइक्स स्टाइल घने बाल! हां थोड़े से सांवले थे पर बहुत हॉट एंड हैंडसम! मैं उन पर डोरे डालने लगी और पता था वो आसानी से फंस सकते हैं। जानबूझ कर मैं उनके घर के रास्ते से आने लगी। तो एक दो बार उन्होंने मुझे अपनी बाइक पर लिफ्ट दी। और यहीं से मैंने शुरुआत की। अब मैं अक्सर उसी रास्ते आती जाती और विजय सर मुझे लिफ्ट देने लगे। मैं उनके पीछे बैठती तो एकदम सट के बैठती और अपने बूब्स को उनकी पीठ पर टच करती। मैंने उनका नंबर लिया और उनसे अब रात को भी बात होने लगी। वो दूर के थे तो अकेले ही रहते थे। इसी बीच हम दोनों में नजदीकियां बढ़ रही थी। सर मुझसे सेक्स भरे चैट करने लगे। मैं भी उन्हें न्यूड्स भेजने लगी। एक दिन उन्होंने मुझे कॉफी शॉप पर बुलाया। और वहां एक केबिन में लेकर उन्होंने मुझे जोरदार किस भी किए। फिर हम और करीब आ गए।

एक बार हमारे स्कूल की टूर निकली, हमें अलवर किला दिखाने ले जाया गया।

तब हमारे साथ 3 टीचर और एक मैडम भी थी।

 

विजय सर भी उसमें आ रहे थे तो मेरी तो निकल पड़ी।

 

हम दिन में किले में पहुंचे और पूरा दिन घूमे. फिर रात को रुकने के लिए एक स्कूल का हॉस्टल था, वहां जाकर रुके।

वहां सब के लिए कमरे थे।

 

मेरे कमरे में 2 और लड़कियां भी थी।

और मजे की बात यह थी कि विजय सर ने मेरे बाजू वाला कमरा ही लिया था, जो उन्होंने मुझे मेसेज करके बताया।

 

रात को खाने के बाद सब लड़कियां सो गई लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी।

मैंने सर को मेसेज किया, सर ने तुरंत मुझे अपने कमरे में बुलाया।

 

मैं बिना आवाज किए चुपके से सर के पास गई.

दरवाजा खुला था तो मैं सीधा अंदर गई और दरवाजा बंद कर लिया।

 

सर एकदम मेरे सामने ही खड़े थे; वो भी सिर्फ बनियान और लोअर में!

क्या मस्त लग रहे थे सर … एकदम साउथ वाला चरंजीव हीरो, उसकी तरह।

 

दरवाजा बंद करते ही सर मुझ पर टूट पड़े।

वो मुझे बेतहाशा चूमने लगे।

 

उन्होंने मुझे कसके पकड़ा और अपने होंठ मेरे होंठ पर गड़ा दिए।

मैं भी बड़े मजे से उन्हें किस करने लगी।

 

बीच बीच में हम और एक दूसरे के जीभ से चाटने लगे।

मैंने स्कर्टऔर नाईट प्लाजो पहनी थी।

 

इसी बीच सर शर्ट के ऊपर से ही मेरे मम्मे जोर जोर से दबाने लगे।

मैं तो चित पड़ी थी और उस पल का मजा ले रही थी। कुछ मिनट तक चूमने के बाद सर ने मेरी स्कर्ट उतारी. मैंने अंदर कुछ नहीं पहना था तो मेरे बूब्स नंगे हो गए! अब सर ने एक चूची को मसलते हुए दूसरे चूचे को मुंह में लिया और चूसने लगे साथ ही में काटने लगे।

बारी बारी से उन्हें चाटने से और दबाने से मेरे मम्मे लाल हो गए।

फिर सर ने अपना बनियान और लोअर उतार दिया और सिर्फ अंडरवियर में आ गए।

मैंने देखा तो उनका लन्ड एकदम कड़क हो गया था।

लगभग छह सात इंच का होगा।

 

मेरी तो देखते ही फट गई कि इतना बड़ा लन्ड में कैसी झेल पाऊंगी।

 

सर ने झट से मेरी प्लाजो उतार दी अब मैं सिर्फ पैंटी में थी।

अब उन्होंने मुझे जमीन पर बिछाए गद्दे पर लिटाया और फट से मेरी पैंटी उतारी और मेरी छोटी सी चूत से खेलने लगे।

 

पहले उन्होंने अपनी एक उंगली मुंह में डाल कर गीली कर दी और फिर मेरी चूत में घुसा कर अंदर बाहर करने लगे।

मैं तो सातवें आसमान पर पहुंच गई।

मेरे पूरे शरीर में गुदगुदी सी होने लगी ।

 

अब उन्होंने अपनी दो उंगलियां मेरी चूत में घुसाने की कोशिश की मगर मेरी चूत इतनी टाइट थी कि उंगलियाँ आसानी से अंदर नहीं जा रही थी।

 

मगर विजय सर बहुत खिलाड़ी थे इस खेल के!

उन्होंने धीरे धीरे से दो उंगलियां मेरी चूत में डाल दी और अंदर बाहर करके मुझे मजा देने लगे।

 

कितना बढ़िया वक्त था वो!

मेरे सर मुझे अपनी उंगलियों से चरम सुख की प्राप्ति दे रहे थे और मैं चित होकर आहें भरने लगी।

 

वो मेरे दाने से बेतहाशा खेल रहे थे।

मुझे बहुत ही मजा आ रहा था- आह … सर … उम्ह्ह … आह्ह्ह्ह … सर!

 

मैं इतनी उत्तेजित थी कि जल्दी ही झड़ गई और मेरी चूत से पिचकारी छूट पड़ी।

सर ने मेरे ही निकले पानी से भरी उंगलियां मेरे मुंह में डाली, मैं मजे से चाट गई।

 

क्या टेस्ट था … आह्ह …

 

अब सर ने मुझे अपना लन्ड चूसने का इशारा किया।

मैंने पोर्न फिल्म में देखा था, तो नया तो नहीं पर मेरा पहली बार था।

 

विजय सर ने आगे आकर लेटे लेटे ही मेरे मुंह में अपना लंबा लन्ड दे दिया।

 

मैं मस्त चूस रही थी.

अब सर के मुंह से आहें निकलने लगी- आह्ह ह ह … अंजू चूस इसे! कितने दिनों से मेरी इच्छा थी आज पूरी हो रही है। साली क्या चूसती है तू … ऐसे ही मेरी रानी आह्ह्ह … क्या बात है।

 

मैं उनके लन्ड पर थूक लगा कर चूस रही थी और बीच बीच में उनकी गोटियां भी जीभ से चाटने लगी।

सर आंखें बन्द करके आह्ह्ह...आह्ह्ह करके मजे से मेरा मुंह चोद रहे थे।

अब बारी थी मेरी कुंवारी चूत की नथ खोलने की!

सर पूरी तैयारी से आए थे।

 

उन्होंने एक तेल की शीशी निकाली और मेरी छोटी सी चूत पर ढेर सारा तेल लिया और उंगली से अंदर तक डाल कर गीला कर दिया।

 

अब सर ने साइड में रखा कंडोम निकाला और अपने विशाल लन्ड पर चढ़ाया।

मैं बोली- सर, बहुत दर्द होगा क्या?

तो वो बोले- अरे पगली, थोड़ा सा दर्द होगा मगर मजा उससे ज्यादा आयेगा, तू चिंता मत कर!

 

फिर उन्होंने अपना लन्ड धीरे धीरे से मेरी चूत के मुंह पर फेरना शुरु किया।

मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुंच गई थी।

मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई थी।

 

मैं मादक आहें भर रही थी और बोल रही थी- अब रहा नहीं जाता सर, प्लीज डालो इसे अंदर!

सर शैतान की तरह हंस रहे थे।

 

अब उन्होंने अपना लन्ड मेरी चूत पर सेट किया और एक हल्का सा धक्का लगाया।

और इधर मेरी तो जान ही निकल गई.

 

मैं जोर से चिल्लाती … उससे पहले ही सर ने मेरे होटों पर अपने होंठ रख दिए और मेरी आवाज दब गई।

 

मेरी आंखों से आंसू निकले, मैं गद्दे पे हाथ मार रही थी और गूं गूं बस आवाज निकाल पाई।

दोस्तो, एक लड़की ही जाने सील टूटने का दर्द!

 

सर एक पल भर रुके और फिर एक करारा धक्का लगा दिया।

इस बार का प्रहार बहुत तेज और कठोर था जिससे मेरी चूत की नसें फट गई और शायद खून भी निकला.

 

पर मैं तो चित जैसे मरी पड़ी थी।

मैं कुछ समझ पाती, उससे पहले ही सर ने एक और जोरदार हमला किया इस बार उनका पूरा लन्ड मेरी चूत में घुस चुका था।

 

मेरी जान हलक में थी … मैं चिल्ला नहीं पाती और यहां से हिल भी नहीं सकती थी।

मैं सिर्फ आंखें बंद करके दर्द से कराह रही थी।

 

सर कुछ पल रुके, मुझे चूमते रहे और मेरे मम्मों से खेलते रहे।

जब उन्होंने पाया कि मैं थोड़ा सामान्य हो रही हूं, तो उन्होंने अपने लन्ड को हल्के हल्के से आगे पीछे करना शुरू किया।

 

मेरा तो हाल बेहाल था मगर अब मैं भी जान पर खेलकर उनका साथ दे रही थी।

अब वे मुझे जोरों से दबाते जा रहे थे और नीचे इतने बड़े लन्ड से जोरदार चोद रहे थे।

 

उस वक्त मेरी हल्की हल्की उह्ह उह्ह ह्ह आवाज निकाल रही थी।

आह्ह उह्हम्म उह्ह्ह्म … आंखों में आंसू थे पर उसका सर पर कोई असर नहीं हुआ, वे जबरदस्त तरीके से जोर जोर से धक्के मार मार कर मुझे चोदे जा रहे थे।

मैं दोबारा झड़ने को थी, मेरा पूरा बदन अकड़ रहा था।

 

और उत्तेजित हो कर मैं दोबारा झड़ गई।

मेरा पूरा बदन पसीना पसीना हो गया और मैं निढाल होकर लेटी थी और विजय सर के धक्के पे धक्का खा रही थी।

टीचर फक़ के हर धक्के पर उनकी स्पीड बढ़ती और मेरा दर्द!

सर बोल रहे थे- ले मेरी रानी अंजू, बहुत इंतजार करना पड़ा मुझे इस दिन का!

और लगातार 8 से 10 मिनट तक चोदने के बाद वो भी अब चरम सीमा के कगार पे थे, तो उन्होंने लन्ड मेरी चूत से निकाला और कंडोम से अलग कर दिया और मुझे उठने को कहा।

फिर वे बोले- मुंह में लेगी?

 

मैं उठ कर घुटनों के बल बैठ गई तो सर ने खड़े होकर अपना लन्ड मेरे मुंह में दिया और मेरे मुंह को अब चोदने लगे।

मैं भी किसी पोर्नस्टार की भांति उनका मोटा लन्ड चूसे जा रही थी।

 

और एकाएक उन्होंने अपना वीर्य निकालना शुरू किया।

उनके लन्ड से निकलती एक एक बूंद मेरे मुंह में जा रही थी और मैं बेशर्म लड़की उसे गटक गई।

 

मैंने जो ब्लू फिल्मों में देखा था, वो आज खुद अपने सर के साथ कर रही थी।

मैं उनको गोटियों पर हाथ फेरती जाती और वो अपना वीर्य मेरे मुंह में छोड़े जा रहे थे।

 

वीर्य की आखरी बूंद तक मैं निचोड़ गई थोड़ा सा वीर्य मेरे मुंह से होते हुए मेरे बूब्स तक गया था।

 

वीर्यपान करके मैं फिर निढाल हो कर गद्दे पर लेट गई और सर मेरे बाजू में आ गए।

उन्होंने मुझे उनकी तरफ खींचा और मुझे प्यार से चूमने लगे।

 

मेरे दर्द का ठिकाना नहीं था पर मजा भी उतना ही आया।

मैं दर्द और मजे से सराबोर होकर सर का साथ दे रही थी।

 

फिर उन्होंने मुझे पूछा- अंजू बेबी, कैसा लगा?

मेरी आंखों में आंसू थे मगर चरम सुख की प्राप्ति और सील टूटने की खुशी के साथ साथ पास होने की भी खुशी थी।

 

मैं बोली- बहुत बेरहम हो सर आप! ऐसे भला कोई करता है एक मासूम लड़की पर इतना जुल्म?

 

तो वो बोले- बेटा, तू मासूम तो है नहीं, बड़ी खिलाड़ी है … तू आगे जाकर महा खिलाड़िन बनेगी इस खेल की … और रही बात दर्द की; तो सील टूटने पर वो तो होना ही था … पर चुदाई का मज़ा भी उतना ही आया ना?

 

मैं बोली- हां वो तो आया!

और हम हंसने लगे।

 

तभी विजय सर ने बताया- घर जाने के बाद वर्जिन शॉप से सफाई करेगी तो दर्द में आराम मिलेगा।

मैंने हां में सर हिलाया और बोली- तो मेरा मैथ्स का A ग्रेड पक्का ना सर?

“अरे पगली, तू मूझे ऐसे ही खुश रख बाकी सब्जेक्ट का भी A ग्रेड पक्का बस!”

फिर क्या था पूरी रात मैं विजय सर के बांहों में चिपक कर सोई रही। सुबह 5 बजे आंख खुली तो देखा उनका लंड मेरी जांघों पर सो रहा था |

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