मुख्य पृष्ठ » ट्रेवल सेक्स स्टोरीज » सर की ऑफिस में गार्गी की चूत


सर की ऑफिस में गार्गी की चूत

Posted on:- 2024-12-16


मेरा नाम राजीव  है. मेरी उम्र 25 साल है. यह कहानी मेरी जिन्दगी का असली और सत्य अनुभव है. उन दिनों मैं आगरा  में एक मेडिकल  कॉलेज का छात्र था. मैं जुलाई 2009 आगरा  में आया था. मैंने आगरा  आने से पहले कभी चुदाई नहीं की थी. चुदाई करने की कसक मेरे दिल में हमेशा से ही थी लेकिन न जाने क्यों 25 की उम्र में आते आते मुझे अपने नाग की तरह फुनकते लंड को थामना बहुत ही मुश्किल पड़ रहा था. मुठ मारने से भी में अब बोर हो गया था. मुझे चूत की बहुत जरूरत थी और इस बार किस्मत ने भी मेरा भरपूर साथ दिया. मै एक नंबर का आवारा चोदा पेली करने वाला  लड़का हु मुझे लड़किया चोदना अच्छा लगता है.


 

 मेरे प्यारे दोस्तो चुची पिने का मजा ही कुछ और है मेरी कक्षा में सिर्फ दो लड़कियाँ थी. उन दोनों में से एक थी ममता  ! ममता  क्या लड़की थी, उसके दो दो किलो के चूचे थे और गांड भी खूब भारी थी. उसी दिन मुझे लगा कि ममता  की चूत ही मेरे लंड की गर्मी को ठंडा कर सकती है. ये कहानी पढ़ कर आपका लंड खड़ा नहीं हुआ तो बताना  लड खड़ा ही हो जायेगा .


 

अगले दिन ममता  ने मुझे बताया कि उसे मोबाइल फ़ोन खरीदना है. कॉलेज से मार्केट काफी दूर था और मेरे पास बाइक भी नहीं थी. मैंने अपने दोस्त से पल्सर मांग ली.

 

 मेरे मित्रगणों  चुत छोड़ने के बाद सुस्ती सी आ जाती है     फिर क्या था, क्लास ख़त्म होने के बाद ममता  और मैं बाइक पर चल दिए. मैंने बाइक की स्पीड 100 से भी ऊपर कर दी और उसने मुझे कसकर पकड़ लिया जैसे ही उसके नाजुक नाजुक हाथ मुझे छू रहे थे मेरी पूरी बॉडी में सनसनाहट दौड़ रही थी और मेरे लंड तो आज सारी हदें पार कर रहा था. उस वक़्त मुझे लगा कि अभी बाइक रोक कर उसे अपने लंड का स्वाद चखा दूँ. लेकिन मैंने अपनी भावनाओं को काबू में रखा. मुझे तो समुन्दर में तैरना था, नदी में नहाने में क्या रखा था. क्या बताऊ मेरे मित्रगणों   उसको देखकर किसी लैंड टाइट हो जाये.


 

 मेरे मित्रगणों  मने बहुत सी भाभियाँ चोद राखी है उस दिन बाइक पर जो तीस मिनट का सफ़र था, उसको रात को सोच कर मैं मुठ ही लगा रहा था कि ममता  का फ़ोन आ गया. अब मैंने ममता  से फ़ोन पर बात करते करते ही लंड से ऐसी पिचकारी छोड़ी कि वीर्य दो मीटर दूर जाकर गिरा. लेकिन आज की मुठ में और दिनों से अलग मजा था. मेरे मित्रगणों  क्या मलाई वाला माल लग रहा था .


 

 चुदाई की कहानी जरूर सुनना चाहिए मजे के लिए अगले दिन क्लास में ममता  मेरे आगे बैठी थी तो उसकी सलवार से उसकी पैन्टी दिख रही थी. उसने गुलाबी रंग की पैन्टी पहनी थी. अब तो मेरा लंड फ़ुफ़कारने लगा. साथियो की पुराणी मॉल छोड़ने का मजा ही कुछ और है.


 

 अब सुनिए चुदाई की असली कहानी क्लास छुटने के बाद मैं ममता  को कॉफ़ी के लिए कैंटीन ले गया. बात बात में उससे पता चला कि उसका अभी कोई बॉयफ़्रेंड नहीं है. अब तो मुझे ममता  की चूत की सुरंग और मेरे लंड की तोप का मिलन साफ़ नजर आ रहा था. धीरे धीरे हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई. मेरे मित्रगणों  एक बार चोदते  चोदते  मेरा लंड घिस गया.


 

 वहा का माहौल बहुत अच्छा था  मेरे मित्रगणों   एक दिन शाम के 4 बजे लैब में कोई नहीं था. मैंने ममता  को अपने दिल की बात कह दी. उसने भी हामी भर दी, मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और इमरान हाश्मी स्टाइल में ममता  के होंठों का सारा रस चूस लिया. अब मेरे हाथ धीरे धीरे उसके वक्ष पर पहुँच गए. मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरु कर दिया. उसके स्तन डनलप के गद्दे से कम नहीं लग रहे थेऔर मेरा लंड तो उस वक़्त हीरे से भी सख्त हो रहा था. उसने भी मेरा लंड अपने कोमल हाथो में ले लिया और सहलाने लगी. अपने हॉस्टल में मैंने खूब ब्लू फिल्म देखी थी और मैंने लैब के कंप्यूटर में गूगल से ढूंढ कर ब्लू फिल्म चला दी. मेरे मित्रगणों  उस लड़की मैंने चुत का खून निकल दिया.


 

 वहा जबरजस्त माल भी थी मेरे मित्रगणों   अब मैंने फिल्म की नक़ल करते हुए अपना लंड ममता  के मुँह में दे दिया. पहले तो ममता  ने मना किया फिर मान गई और वो लंड चूसने लगी. मेरा लंड पहली बार किसी लड़की के मुँह में गया था. एक मिनट के अंदर ही मैं झड़ने लगा और मैंने ममता  के मुँह के ऊपर वीर्य बारिश कर दी और वो उसको ऐसे चूसने लगी जैसे अमृत की बारिश हो रही हो. मेरे मित्रगणों  चोदते चोदते चुत का भोसड़ा बन गया.


 

मैं झड़ चुका था लेकिन ममता  की आग अभी बाकी थी. उसने अपनी चूत में ऊँगली करके अपनी आग बुझाई.

 

 ऐसे माहौल कौन नहीं रहना चाहेगा मेरे मित्रगणों   अगले दिन मुझे ममता  को संतुष्ट करना था इसलिए मैं अगले दिन पॉवर कैप्सूल और कंडोम लेकर गया. लेकिन अगले दिन लैब में क्लास चल रही थी और मैंने लंच के बाद कैप्सूल खा लिया था. शाम के चार बज रहे थे और मेरा लण्ड नाग के फन की तरहजींस को फाड़ के बाहर आने को कर रहा था. आज किस्मत ने मेरा साथ दिया. एक टीचर को बाहर जाना था दो घंटे के लिए उसने मुझे अपने ऑफिस की चाबी दे दी क्योंकि टीचर का कुछ काम करना था. इधर मुझे अपने लंड की आग बुझानी थी. मेरे मित्रगणों  एक बार मैंने अपने गांव के लड़की जबरजस्ती चोद दिया.


 

 उह क्या मॉल था मेरे मित्रगणों  गजब  मैं ममता  को लेकर ऑफिस में आ गया. मेरे ऊपर अब तो कैप्सूल का पूरा असर हो चुका था. ऑफिस में घुसते ही मैंने ममता  को बाहों में भर लिया और टूट पड़ा. मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया और स्तनों को चूसने लगा और ममता  भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. आज मेरा लंड सात इंच से बढ़ कर आठ इंच का हो गया था. ममता  की चूचियाँ दबाने में बहुत मजा आ रहा था, उसके स्तन काफी गुदगुदे थे. मेरा तो मन ही ख़राब हो जाता था मेरे मित्रगणों . 


 

 क्या बताऊ मेरे मित्रगणों  मैंने चुदाई हर लिमिट पार कर दिया मैंने अपना लंड उसके दोनों स्तनों के बीच में रख दिया और हिलाने लगा. अब मेरा हाथ अपने आप ममता  की पैन्टी पर पहुँच गया और मैंने उसकी पैन्टी उतार दी. ममता  की चूत पर एक भी बाल नहीं था और चूत एक दम गोरी गोरी थी. मैं चूत को सहलाने लगा. कुछ भी  हो माल एक जबरजस्त था .


 

अब उसकी चूत गीली होती जा रही थी, मुझे लगा कि ममता  की सुरंग में तोप दागने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा और मैंने कंडोम चढ़ा के डाल दिया अपना लण्ड ममता  की चूत में !.

 मेरे मित्रगणों  मैंने किसी भाभी को छोड़ा नहीं है जैसे ही पहल झटका लगा, ममता  कर गई- उहऽऽ ह्ह अह्ह्ह्हह्ह. और उसकी चूत से खून निकलने लगा. वो दर्द से कराहने लगी पर आज मेरा लण्ड कहाँ रुकने वाला था, मैंने उसकी एक टांग कुर्सी पर रखी और एक टांग को अपने हाथ में रख के झटके पे झटके देने लगा. उधर ममता  दर्द से उफ्फ्फ अहह उफ़ आह्ह मर गई … और धीरे से डालो ..कहने लगी. उह भाई साहब की माल है उसकी चुत की बात ही कुछ और है.

और जब तीन चार बार लंड चूत में घुस कर बाहर आ गया तो ममता  को मजा आने लग गया.

 मेरे मित्रगणों  एक बार स्कूल में चुदाई कर दिया बड़ा मजा आया अब ममता  कहने लगी- और डालो … और डालो !पाँच मिनट तक मैंने ममता  को खूब पेला. अब मेरा झड़ने वाला था कि तभी टीचर आ गया. लंड की आग में मुझे कुछ नहीं दिख रहा था. उसने हमें दरवाज़े के छेद में से देख लिया था. लेकिन जब तक मैंने अपने लंड से ममता  की चूत को तृप्त नहीं कर दिया, मैं ठोकता रहा और अंत में मैं झड़ने लगा. फिर जल्दी जल्दी ममता  और मैंने कपड़े पहने लेकिन टीचर हमें देख चुका था. मेरे मित्रगणों  चोदते  चोदते  कंडोम के चीथड़े मच गए ओह्ह उसके यह का चुम्बन की तो बात अलग है.
 

 दरवाजा खोला तो टीचर ने ममता  से कहा- मुझे भी अपनी चूत दे दे ! नहीं तो सबको बता दूंगा ! मेरे मित्रगणों  कई बार जबरजस्ती शॉट मरने में चुत से खून निकल गया.
 

ममता  मेरी तरफ देखने लगी, मेरे पास भी कोई और रास्ता नहीं था. टीचर ने भी ममता  को ठोका और उसकी नई और गोरी गोरी चूत का मजा लूटा.

 आज भी ममता  और मेरा चुदाई कार्यक्रम चल रहा है और हफ्ते में एक दो बार टीचर ममता  की ले लेता है. आज भी ममता  और मेरा चुदाई कार्यक्रम चल रहा है और हफ्ते में एक दो बार टीचर ममता  की ले लेता है.

 उसका भोसड़ा का छेड़ गजब का था मेरे मित्रगणों   लेकिन क्या करें ! हमे भी ऑफिस चुदाई करने को मिल जाता है.

What did you think of this story??






अन्तर्वासना इमेल क्लब के सदस्य बनें


हर सप्ताह अपने मेल बॉक्स में मुफ्त में कहानी प्राप्त करें! निम्न बॉक्स में अपना इमेल आईडी लिखें, फिर ‘सदस्य बनें’ बटन पर क्लिक करें !


* आपके द्वारा दी गयी जानकारी गोपनीय रहेगी, किसी से कभी साझा नहीं की जायेगी।