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मालिक की माँ के मुहं में लंड दिया

Posted on:- 2024-10-22


नमस्कार दोस्तों, में एक 25 साल का बिहारी लड़का हूँ और आजकल  पलवल में शर्मा जी के घर में नौकरी करता हूँ. वैसे तो मैंने बहुत बार चूत मारी है, लेकिन क्या है कि रोजाना नहीं मिलती है? इसलिए कभी-कभी अपना हाथ जगन्नाथ भी करना पड़ता है.

 

अब कहानी पर आते है, महीने भर पहले हमारे मालिक की अंमा जी अपने घुटनों का इलाज करवाने पलवल आ गयी. गोरी और खूब मोटी बुढिया मगर सुंदर. इसके बाद तभी मुझे ना जाने क्यों उस बुढिया को देखकर ख्याल आया कि जब ये अभी भी इतनी सुंदर है तो जवानी में कितनी सुंदर रही होगी? अगर अब भी इसको चोदने को मिला जाए तो मज़ा आ जाए. अब माँ जी की सारी देखभाल का जिम्मा मुझे ही मिला था, सिर्फ़ उनकी टांगो पर तेल की मालिश शिखा (दूसरी नौकरानी) करती थी. तो में भी कभी-कभी बहाने से चोरी छुपे बुढिया की मांसल जांघे देख लेता था. वैसे मैंने शिखा को पटाने की भी कोशिश की थी, लेकिन वो साली पटी नहीं.

 

इसके बाद एक दिन शिखा कुछ दिनों के लिए अपने गाँव चली गयी, तो अब समस्या यह थी कि माँ जी की टांगो की मालिश कौन करे? मालिक मालकिन अपने-अपने काम पर और बच्चे स्कूल कॉलेज में व्यस्त थे.

 

मैंने एक दिन कहा कि माँ जी अगर आप आज्ञा दे तो आपकी सेवा में कर दिया करूँ. इसके बाद तभी वो बोली कि बेटा कुछ दिनों की बात है मुझे मालिश से बड़ा आराम आ रहा है, शिखा को भी अभी मरना था, मेरा शरीर भारी है में खुद कर नहीं पाती हूँ, चल तू कर दिया कर. अब मेरा तो नसीब ही खुल गया था. इसके बाद अगले ही दिन करीब 11-12 बजे में तेल की शीशी लेकर जा पहुँचा और बोला कि चलो माँ जी आपकी मालिश का टाईम हो गया है. अब मेरे इतना कहने पर माँ जी ने लेटे-लेटे अपना गाउन घुटनों तक ऊपर खींच लिया था और बोली कि आ बेटा कर दे, भगवान तेरा भला करे.

 

अब उसकी दो मोटी-मोटी टाँगे देखकर मेरा तो लंड तन गया था. इसके बाद मैंने धीरे-धीरे से तेल लगाकर मालिश करनी शुरू की.

 

थोड़ी देर के बाद मैंने सोचा कि क्यों ना बुढिया की चूत के दर्शन किए जाए? तो मैंने बुढिया की टाँगे घुटनों से मोड़कर खड़ी कर दी, जिससे मुझे उसके गाउन के अंदर देखने का मौका मिला और मैंने देखा कि बुढिया की गोरी-गोरी चूत पर ढेर बड़ी बड़ी झांटें थे.

 

मैंने मालिश करते-करते बुढिया का गाउन ऊपर सरकाना शुरू किया और उसकी जांघों तक मालिश करनी शुरू कर दी और इसके बाद मैंने मालिश करते-करते उसके पेट तक उसका गाउन उठाकर मालिश करनी शुरू कर दी. अब में उसकी टाँगे, चूत और मोटा पेट देख रहा था और तेल लगाकर उसकी मालिश करते हुए मज़ा भी ले रहा था. इसके बाद जब मेरी वासना और बढ़ गयी तो मैंने उसका गाउन उसके गले तक उठा दिया और उसकी बड़ी-बड़ी चूचीयों की भी मालिश शुरू कर दी.

 

अब मुझे उसके गोरे-गोरे, नर्म-नर्म बूब्स दबाने में बहुत मज़ा आ रहा था. अब मेरा लंड पूरी तरह से अकड़ गया था और मेरी चड्डी में से बाहर झाँक रहा था, जो बुढिया को भी दिख रहा था. इसके बाद तब वो बुढिया बोली कि बरसों के बाद आज किसी ने मुझे इस हाल में देखा है और मेरे अंदर की भावनाएं जगाई है, क्या तू मेरे साथ संभोग करेगा? तो मैंने कहा कि सच कहूँ तो माँ जी इसलिए तो मैंने आपकी मालिश करने की सेवा ली थी.

 

तभी वो बोली कि तो बेटा अब सेवा का फल मेवा खाने का टाईम आ गया है, चल उतार कपड़े. इसके बाद मैंने अपने कपड़े उतारे और अपना लंड बुढिया के हाथ में दे दिया. तो वो बोली कि हाए ये तो छोटा है, लेकिन काम चल जाएगा और बरसों के बाद चुदने की इच्छा जगी है, आज यह भी करके देख लेती हूँ. इसके बाद उसने 2 मिनट तक मेरा लंड चूसा और बोली कि अया लंड चूसने का भी अपना ही मज़ा है, चल अब थोड़ी सी मेरी चूत चाट और उसके बाद मेरे ऊपर आ जा.

 

इसके बाद मैंने भी बुढिया की चूत में अंदर तक अपनी जीभ डालकर चाटी, तो तभी बुढिया ने जमकर अपना पानी छोड़ा. इसके बाद उसके बाद मैंने बुढिया की दोनों टाँगे चौड़ी की और अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रखा और उसकी चूत पर रगड़ने लगा.

 

इसके बाद बुढिया भी मजे के मारे ऊऊओ, आअहह करने लगी. इसके बाद मैंने धीरे से अपना लंड अंदर घुसेड़ा, उसकी चूत एकदम किसी कुँवारी लड़की की तरह टाईट थी. तो में बोला कि माँ जी आपकी चूत तो बहुत टाईट है. इसके बाद वो बोली कि जिसके 15 साल से लंड ना गया हो उसकी चूत इतनी ही टाईट हो जाती है. अब बुढिया की बातों ने मेरे अंदर और आग भड़का दी थी.

 

इसके बाद मैंने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और मज़े ले-लेकर उसकी चुदाई करने लगा और इसके बाद करीब 10-12 मिनट के बाद मेरा लंड पिचकारी मारता हुआ उसकी चूत में ही झड़ गया. अब मेरा और बुढिया का प्रोग्राम एक साथ ही हुआ था. अब हम दोनों संतुष्ट हो गये थे.

 

इसके बाद हम दोनों बहुत देर तक एक दूसरे की बाहों में बाहें डालकर नंगे ही लेटे रहे. इसके बाद मैंने उसको खूब चूसा और करीब आधे घंटे के बाद मैंने बुढिया को इसके बाद से चोदा और उसकी चूची पर अपना माल छोड़ दिया. इसके बाद उसके बाद मैंने पानी गर्म किया और बुढिया के साथ बाथटब में नहाया.

 

माँ जी पूरे 3 महीने तक पलवल रही और मुझे जमकर पत्नी का सुख दिया. इसके बाद बाद में तो वो मेरा माल भी खाने लगी और मेरा लंड चूसते चूसते जब मेरा लंड उसके मुँह में ही झड़ जाता था तो वो मेरा सारा माल अंदर निगल जाती थी और बहुत खुश होती थी. अब पता नहीं वो बुढिया दवाई से या मेरा माल पी पीकर ठीक हुई थी, लेकिन अब बुढिया काफ़ी ठीक हो गयी है और इसके बाद एक दिन वो वापस अपने गाँव चली गयी. अब में आज भी उनको याद करता हूँ. मित्रों ये कहानी आप देशीअडल्टस्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं.

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