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दीदी के साथ उसकी सहेली को चोदा

Posted on:- 2024-12-13


हैल्लो बहन के लौडों, मेरा नाम जतिन दुलारी है और मेरी दीदी की एक सहेली जिसका नाम दिव्यांशी था, दिव्यांशी दीदी को रोज अपनी मम्मी-पापा की सेक्सी बातें बताती थी. एक दिन दिव्यांशी ने दीदी से कहा कि आज मेरे पापा मेरी मम्मी को किचन में किचन पट्टी बैठाकर उसके साथ सेक्स करने लगे. दीदी ने पूछा कि तूने कैसे देखा?

वो बोली कि में बेडरूम में पढाई कर रही थी तो मुझे आआआआआआआ, उई माआआआआआआआ की आवाज़ आई तो मैंने धीरे से दरवाजा खोलकर देखा, तो पापा मम्मी की दोनों टांगो को फैलाकर उसमें सटे हुए थे और मम्मी अपनी आँखे बंद करके आआआआआआअ कर थी. मेरी मम्मी बोली कि ज़रा नीचे उतरो, तो में समझी कि वो बाहर आ रही है तो मैंने झट से दरवाजा अंदर से बंद कर लिया, लेकिन अब भी मुझे मम्मी की मदहोश आवाज़ आ रही थी. मेरे बेडरूम में एक खिड़की थी जो हमेशा बंद रहती थी और मैंने खिड़की के पतले सुराख से देखा तो मुझे वहाँ का सारा नजारा साफ-साफ दिखाई दे रहा था.

अब पापा-मम्मी की दोनों चूचीयों को अपने मुँह में लेकर चूस रहे थे, उन्होंने मम्मी के ब्लाउज को भी नहीं निकाला था. अब मुझे मम्मी की दोनों जांघे साफ़-साफ़ दिख रही थी और अब मम्मी पूरा मज़ा ले रही थी.

 

यह सब देखने के बाद मेरी चूत में जैसे कोई कीड़ा घूम रहा हो और मेरी चूचीयों पर मेरा हाथ अपने आप चला गया और में धीरे-धीरे उसे सहलाने लगी, जैसे मेरे तन बदन में आग लग गयी हो और फिर मेरे हाथ नीचे पहुँच गये और मेरी बीच की उंगली मेरी चूत में घूमने लगी और मैंने उंगली कब ज़ोर से हिलाई मुझे पता ही नहीं चला और मेरी चूत से पानी गिरा दिया. फिर तो मुझे बहुत ही मज़ा आया था.

 

दीदी बोली कि ऐसा मज़ा लेना हो तो मेरे घर आजा, में और तुम दोनों एक दूसरे से मज़ा लेंगे. दिव्यांशी ने बोला कि आज तुम मेरे घर चलो, में शाम को मम्मी इजाजत से लेती हूँ कि में तुम्हारे घर आज रात प्रॉजेक्ट के लिए चलूंगी. में इसके पहले भी कई बार तो तुम्हारे घर आई हूँ, तो मेरी मम्मी ज़रूर इजाजत देगी.

 

कॉलेज से निकलने के बाद दीदी और दिव्यांशी इजाजत लेकर हमारे घर आ गयी. में उस समय घर में नहीं था. जब में बाहर से आया तो मैंने देखा कि दिव्यांशी और दीदी मेरे बेडरूम में बैठी थी, तो मैंने सोचा कि आज तो सब चौपट हो गया. अब मम्मी और पापा भी घर में नहीं थे, तो मैंने दीदी से कहा कि दीदी पानी देना. जब दीदी पानी लेने गयी, तो में भी किचन में चला गया. और दीदी से बोला कि दिव्यांशी कब आई? तो दीदी बोली कि मेरे साथ और आज यहाँ पर ही रहेगी.

 

में बोला कि मुझे पहले ही लगा था कि आज की रात अपनी सुहागरात नहीं हो पाएगी. दीदी बोली कि उसकी चिंता मत करो, आज तो तुमको घरवाली और बाहर वाली दोनों साथ में मिलेगी. में बोला कि वो कैसे? दिव्यांशी को सब पता है क्या? तो दीदी बोली कि नहीं जतिन दुलारी तुम सिर्फ़ जल्दी सोने का नाटक करना, में सब काम बनाती हूँ.

 

मम्मी-पापा का फोन आया कि वो बाहर से रात को खाना लेकर आ रहे है. दीदी ने दिव्यांशी के बारे में बताया और बोली कि उसके लिए भी खाना लेकर आना, वो भी आज अपने घर पर प्रॉजेक्ट बनाएगी. मम्मी-पापा आए और हम सबने एक साथ डिनर कर लिया और करीब 9 बजे सोने चले गये. दीदी बोली कि जतिन दुलारी दिव्यांशी भी पलंग पर सोएगी, तो तुमको कुछ प्रोब्लम तो नहीं है ना. में बोला कि सोने दो, क्योंकि हमारा पलंग बहुत बड़ा था. अब में किनारे पर, दीदी बीच में और दिव्यांशी किनारे पर थी.

 

हम लाईट ऑफ करके सो गये, तो आधे घंटे के बाद दीदी ने दिव्यांशी से धीरे से कहा कि अब जतिन दुलारी सो गया है, आओ शुरू करते है. दीदी तो एक समझदार खिलाड़ी के जैसे मुझसे मज़ा ले चुकी थी, इसलिए उसको सब मालूम था कि कहा से जल्दी सेक्स का मज़ा मिलता है. दीदी ने धीरे-धीरे दिव्यांशी के सब कपड़े निकाल दिए. अब दिव्यांशी सिर्फ ब्रा और पेंटी में हो गयी थी.

 

दीदी धीरे-धीरे उसके निप्पल को सहलाने लगी तो दिव्यांशी जल्दी ही उत्तेजित हो गयी और ज़ोर-जोर से आआआआआ, आआ करने लगी. अब दीदी को भी सेक्स चढ़ने लगा था और अब दीदी अपने चूतड़ मेरी तरफ रगड़ने लगी थी.

 

में झट से दीदी की साईड में घूम गया और अपना लंड दीदी की चूत पर ऊपर से रगड़ने लगा. अब दिव्यांशी दीदी के सहलाने का मज़ा अपनी आँखे बंद करके ले रही थी और इधर दीदी ने पीछे से अपनी नाइटी धीरे से उठाकर अपनी पेंटी को थोड़ा सरका दिया था, जिससे मेरा लंड दीदी की चूत में पूरा घुस गया था.

 

अब दीदी आआआआ माआआआआअ करके दिव्यांशी से चिपक गयी थी और दिव्यांशी भी दीदी से चिपक गयी थी. जब दीदी के बूब्स को दबाते हुए दिव्यांशी ने दीदी की चूत पर अपना हाथ घुमाया, तो उसने पूछा कि ये क्या डालकर रखा है?

 

दीदी हंसने लगी और बोली कि इसी से बहुत मज़ा मिलता है. दिव्यांशी बोली कि तो मेरी चूत में भी डाल ना. दीदी ने कहा कि जतिन दुलारी को जगाना पड़ेगा तो दिव्यांशी थोड़ी सी डर गयी और बोली कि क्यों?

 

दीदी बोली कि जतिन दुलारी का ही तो है, तो में भी हंसने लगा. दिव्यांशी बोली कि जतिन दुलारी तुम बहुत नॉटी हो और तुम शुरू से अपनी दीदी की चूत में अपना लंड डालकर रखे हो और में यहाँ खाली हाथ से करवा रही हूँ. मैंने भी आव देखा ना ताव और सीधा दीदी की चूत से अपना लंड बाहर निकालकर बीच में जाकर दिव्यांशी से चिपक गया, तो दिव्यांशी ने भी मेरा साथ दिया. अब में आपको दिव्यांशी के फिगर के बारे में बता देता हूँ, उसकी हाईट 5 फुट 1 इंच, फिगर साईज 32-28-36 था, अब में दिव्यांशी के साथ मजे ले रहा था.

 

मैंने दिव्यांशी की ब्रा और पेंटी को निकालकर अलग किया और दिव्यांशी के बूब्स को धीरे-धीरे मसलने लगा. अब इधर दीदी मेरा लंड अपने मुँह में लेकर अंदर बाहर कर रही थी. मैंने दीदी और दिव्यांशी को साथ में सुला दिया और दिव्यांशी की चूत में अपना लंड डाला तो मेरा लंड बड़ी आसानी से दिव्यांशी की चूत में घुस गया, क्योंकि दिव्यांशी बहुत पानी छोड़ चुकी थी. अब में दीदी के बूब्स को मसलता और दिव्यांशी की चूत पर अपने लंड से धक्के लगा रहा था और 10 मिनट तक दिव्यांशी की चूत में धक्के लगाता रहा.

 

जब मैंने दीदी की चूत में तीसरी बार अपना लंड घुसाया, तो वो फ़चक-फ़चक पानी गिराने लगी. अब में दिव्यांशी की चूचीयाँ छोड़कर दीदी से पूरी तरह से चिपक गया था. मैंने दीदी की दोनों संतरे जैसी चूचीयों को अपने मुँह में लेकर बारी बारी से चूसा और जब दीदी को इंग्लिश स्टाइल में चूमा तो दीदी पूरी की पूरी निहाल हो गयी और ज़ोर-जोर से अपने चूतड़ हिलाने लगी.

 

अब दीदी 20 मिनट में पूरी सुस्त पड़ गयी थी और मुझसे बोली कि बस अब दिव्यांशी के साथ कर. अब दिव्यांशी तो जैसे तैयार सोई हुई थी, तो दिव्यांशी तुरंत मुझसे बोली कि अब मुझे डॉगी स्टाइल में करो, मैंने इसके बारे में बहुत सुना है. में दिव्यांशी को तुरंत झुकाकर डॉग शॉट लगाने लगा. अब वो भी मेरे हर शॉट का जवाब अपने चूतड़ हिला-हिलाकर दे रही थी आआआआआआअ, आह बहुत मज़ा आ रहा है जतिन दुलारी सैया, ज़ोर से और ज़ोर से और ज़ोर से.

 

कुछ देर के बाद वो बोली कि बस अब थोड़ा आराम दो, मेरी टाँगे दुख रही है. मैंने दिव्यांशी को पलंग पर सीधा लेटा दिया और उसकी दोनों गोरी- गोरी चूचीयों को सहलाने लगा और उसकी चूत के दाने को भी धीरे-धीरे मसलने लगा. अब वो चिल्लाने लगी थी राजाआाआ मत सताओ, अब ज़रा जल्दी से अपना लंड घुसाओ. में अपना लंड दिव्यांशी की चूत में घुसाकर दिव्यांशी की चूत को चोदने लगा.

 

अब नीचे से दिव्यांशी अपने चूतड़ को रेल के इंजन के पहिए जैसे हिलाने लगी थी. करीब आधे घंटे के बाद दिव्यांशी की चूत में से जो पानी गिरा ऐसा लगता था कि कोई नल फट गया हो. अब इधर दिव्यांशी की मदमस्त सिसकारी बंद होने का नाम ही नहीं ले रही थी. अब दिव्यांशी पानी छोड़ते हुए कराहने लगी थी और बोली कि थोड़ा दर्द हो रहा है. तो में बोला कि पहली बार है तो थोड़ी तकलीफ़ होगी. तो दिव्यांशी बोली कि अब थोड़ा आराम दो. मैंने दीदी को उठाया और उसके साथ शुरू हो गया.

 

मुझे दीदी की चूचीयाँ बहुत पसंद है गोरी-गोरी सफेद चूची पर निप्पल का काला टीका मेरे लंड को बार-बार उन्हें चोदने को मजबूर कर देता था. में दीदी के निप्पल को धीरे-धीरे सहलाने लगा. अब उनके दोनों निप्पल एकदम काले जामुन जैसे कड़क हो गये थे और मेरा लंड जैसे दीदी की चूत फाड़ देगा. इस तरह से दीदी की चूत में अंदर बाहर होने लगा था. अब में कभी दीदी के निप्पल दबाता, तो कभी दीदी की जीभ को चूस लेता था, तो दीदी आआआआआआ, उई जतिन दुलारी आआआआआआ की आवाजे निकालती और दीदी से पूरी तरह सट गया था.

 

अब दीदी इतना होने पर धीरे-धीरे अपना पानी छोड़ने लगी थी. मुझे दीदी की चूत का पानी बहुत अच्छा लगता है तो मैंने झट से दीदी की चूत पर अपना मुँह लगा दिया और धीरे-धीरे दीदी की चूत का पानी पीने लगा. अब दीदी एकदम मस्त आवाजे निकालने लगी थी और फिर में दीदी कि चूत का एक-एक बूँद पानी पी गया. अब दीदी एकदम निढाल होकर पलंग पर सो गयी थी और बोली कि जतिन दुलारी आज तो तुमने जन्नत दिखा दी. में बोला कि दीदी थोड़ा और करो, मेरा अभी तक गिरा नहीं है.

 

दीदी बोली कि आज तुम्हारा दिव्यांशी गिराएगी, दिव्यांशी का वजन दीदी से कम था तो मैंने दिव्यांशी को उठाकर अपनी बाँहों में भर लिया. दिव्यांशी बोली कि इतना मज़ा आएगा मैंने सपने में कभी नहीं सोचा था. अब दिव्यांशी एक बार फिर से सहवास करने लगी थी और 1 घंटे में थक गयी और बोली कि बस और नहीं. तब दीदी उठी और मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और करीब 20 मिनट तक चूसती रही.

 

मैं भी दीदी की चूचीयों को सहलाता रहा, तो थोड़ी देर के बाद मेरा भी वीर्य गिर गया और दीदी ने मेरे वीर्य की एक-एक बूँद को पी डाली. अब दिव्यांशी यह सब देख रही थी, तो दीदी बोली कि सब ख़त्म. दिव्यांशी बोली कुछ तो गिरा ही नहीं, तो दीदी बोली कि सब मेरे पेट में चला गया और एक बार दीदी फिर से मुझसे लिपट गयी.

 

अब इस बार दिव्यांशी भी दीदी के साथ मेरे लंड को साईड-साईड से चूमने लगी थी, तो तभी घड़ी का अलार्म बजा और हमने देखा कि 4 बज चुके थे. अब पापा के उठने का समय हो गया था, तो हम सबने जल्दी से अपने कपड़े पहनकर सही ढंग से सो गये और फिर हमें जब कोई मौका मिला तो हमने खूब चुदाई की और खूब मजा किया.

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