नमस्कार साथियों, मेरा नाम रोहित. मै दिल्ली का निवासी हूँ. हिन्दी में लिखने का अलग ही मज़ा है, बहनचोद सारी भड़ास निकल जाती है, जिधर भी देखती हूँ चारों तरफ भूखे ही नज़र आते है और रोटी से ज़्यादा उन्हें जिस्म की तलाश रहती है. पहले में भी अपने बूब्स को छुपाते-छुपाते परेशान हो जाती थी, लेकिन अब तो पल्लू हटाने में भी शर्म नहीं आती, शायद ये उम्र ही ऐसी है. एक सीधी साधी महिला को भी रांड बनने पर मजबूर कर देती है, मगर मेरा कोई दोष नहीं है, दोष इस जिस्म का है, दोष इस चूत की भूख का है जो आदमी को देखते ही मचलने लगती है. चाणक्य ने कहा था कि औरत में पुरुषो के मुक़ाबले 8 गुना ज़्यादा कामुकता होती है, लेकिन मुझे तो लगता है कि साली हज़ार गुना ज़्यादा होती है. मै एक रंडी की आपबीती सुनाता हूँ.
ये बात एक शाम की है जब में पार्लर में थी और एक कस्टमर की मसाज कर रही थी, वो पीठ के बल लेटा था और में अपने हाथों में ठंडा तेल लिए उसकी पीठ मल रही थी. जब हमने काले कलर का टॉप पहना था और काले शॉर्ट्स, अंदर काली ब्रा और लाल चड्ढी पहनी थी. अब मसाज करते-करते में उसकी टाँगों तक पहुँच गई और अब मेरी चूतर उसकी तरफ थी. इसके बाद उसने अपने हाथ से मेरी चूतर को सहलाया. इसके बाद हमने उसका हाथ पकड़ लिया.
मैं – साहब, सेक्स करने का मूड है क्या?
वो : हाँ डार्लिंग.
मैं – 1000 रुपये लगेंगे.
वो : और भी दूँगा.
इसके बाद इतना कहकर वो उठा और अपने पर्स से पैसे निकाल कर मुझे पकड़ा दिए. इसके बाद हमने कहा कि अब बस आप देखते जाओ. इसके बाद हमने अपनी दोनों टाँगे उसकी टाँगों के बगल में रखी और उसके ऊपर आ गई और उसकी चड्डी में उसका लंड खड़ा था.
इसके बाद हमने उसके ऊपर अपनी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया. अब उसके हाथ मेरे बूब्स पर जा चुके थे. इसके बाद उसने पूछा कि इनका साईज़ कितना है? तो मेरे मुँह से आ आह्ह्ह के साथ निकला 36D है. अब इससे पहले कि वो कुछ और पूछता हमने अपनी टॉप उतार फेंकी और पीछे से ब्रा की हुक खोल दिये. अब मेरे बूब्स उसके सामने लटके हुए थे.
इसके बाद हमने उसकी और देखा और उसके होंठो पर टूट पड़ी. हमने पहले उसका ऊपर वाला होंठ चूसा. इसके बाद उसका नीचे वाला होंठ चूसा और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी. अब वो भी जोर से मेरे होंठ चूस रहा था और मेरे बूब्स को दबा रहा था. अब उसकी उंगलियां मेरे नितंबो को दबाने से नहीं चूक रही थी और हर बार दबाने के बाद मेरे मुँह से आ आ की आवाज़ें निकल रही थी. अब उसकी उंगलियों ने अपना जादू दिखाना शुरू कर दिया था और अब मेरे नितंब बिल्कुल खड़े थे.
इसके बाद हमने उसके मुँह से अपना मुँह हटाया और उसकी चड्डी निकाल दी, अब उसका लंड मुझे सलामी दे रहा था. इसके बाद हमने उसका लंड पकड़ा और उसको अपनी चूत से रगड़ा और अपने बैग से कंडोम का एक पैकेट निकाला.
इसके बाद उसने पूछा कि ये क्यों? तो हमने कहा कि अपनी सुरक्षा अपने हाथ. अब उसके लंड को सहलाते हुए हमने टोपी पहनाई तो वो मोटा ताज़ा लंड मेरा हाथ लगते ही उफान मार रहा था और जैसे अंदर जाने को मचल रहा हो. इसके बाद हमने अपने दोनों हाथों से उसे रगड़ा और उसकी नोक पर थूक दिया और इसके बाद जीभ फेरते हुए उसे मुँह में लेकर चूसने लगी, क्योंकि लंड गीला होने के बाद आसानी से अंदर चला जाता है.
इसके बाद धीरे-धीरे उसे अंदर लेते हुए में उसके ऊपर बैठ गई और उसका पूरा लंड मेरी चूत में अंदर चला गया. अब उसके मुँह से आहें निकल रही थी और अब हर बार उछलने के साथ हमारी चीखें तेज हो रही थी. इसके बाद उसने मेरे बूब्स को चूसना शुरू कर दिया और वो अपने दोनों हाथों से मेरी चूतर के साथ खेल रहा था. इसके बाद कुछ देर के बाद उसने मुझे लेटाया और मेरे ऊपर आ गया और चोदने लगा और इसके बाद हमने अपने नाख़ून उसकी चूतर में चुभा दिए.
इसके बाद कुछ देर तक चोदने के बाद वो झड़ गया, मगर में अभी भी भूखी थी और मेरी चूत में अभी भी खलबली थी. अब उसने मेरी स्थिति भाँप ली थी और अपनी दो उंगलियां मेरी चूत में अंदर डाली और अपनी उंगली से मुझे चोदने लगा और कुछ ही देर में मेरा फव्वारा भी निकल गया. अब हम दोनों निढाल होकर बिस्तर पर गिर गये. इसके बाद हमने उसके लंड पर से कंडोम निकाल दिया और उसके सुपाड़े को चाटने लगी, साला बड़ा नमकीन था जैसे कोई नया लंड हो.
इसके बाद उसने मेरी चूचियां सहलाते हुए पूछा कि तुम ये सब कब से कर रही हो? इसके बाद हमने उसके लंड पर से मुँह हटाकर कहा कि 6 साल हो गये है. इसके बाद उसने करवट ली और बोला कि तुम मुझे बहुत अच्छी लगी और मुझे अपने बारे में बताओ ना. इसके बाद हमने बताना शुरू किया, में 24 साल की हूँ और मेरा नाम रुखसार है और में दिल्ली की गलियों में पली बड़ी, चाँदनी चौक में खेली-कूदी हूँ, दिल्ली में हमारा घर हुआ करता था.
मेरे पापा फ़ौज़ में थे और उनके इंतकाल के बाद किसी ने हमें पूछा तक नहीं. में उस समय 19 साल की थी. मेरे पापा के जाने के बाद हमने पढ़ाई छोड़ दी, अम्मा हमेशा बीमार रहती थी और वो दिल की मरीज़ थी, हमारे घर पर किरायदारों ने क़ब्ज़ा कर रखा था और उसका केस कोर्ट में था. इसके बाद एक दिन हमारा वक़ील आया और बोला कि बेटा अब एक ही रास्ता है वरना तारीख बढ़ती रहेगी और हमारे पास उतने पैसे भी नहीं थे. इसके बाद हमने पूछा कि क्या रास्ता है? तो उसने बताया कि जस्टीस शर्मा एक अय्याश आदमी है और उसे जवान लड़कियों का शौक है. अब मेरी आँखों में आसूं आ गये थे. इसके बाद में उठकर माँ के कमरे में गई और उनकी हालत देखी और इसके बाद वक़ील साहब से इस काम के लिए हाँ कर दी. उसका लंड बार बार झांटों को चीर के उसकी बुर को भेदने लगा.
इसके बाद अगले दिन में जस्टीस शर्मा के लंड पर उछल रही थी, एक वो दिन था और एक आज का दिन है, तब से हमने ये धंधा शुरू कर दिया और अपनी चूत का मूल्य वसूल रही हूँ. पिछले साल मेरी माँ का भी इंतक़ाल हो गया, मगर अब में इसे छोड़ नहीं सकती हूँ जब तक जवानी है पैसे कमा कर रख लूँ. अब वो मेरी बातें ध्यान से सुन रहा था. इसके बाद उसने मुझे अपना कार्ड दिया और बोला कि कभी ज़रूरत हो तो फोन करना. इसके बाद उसने कपड़े पहने और चला गया, अब में बिस्तर पर लेटे-लेटे उसे निहार रही थी. वो जवान बंदा था, अगर में रंडी ना होती तो मुझे भी ऐसा कोई प्यार करने वाला मिलता, मगर क्या करे? अपनी किस्मत ही खराब है. इसके बाद हमने अपनी ब्रा पहनी और दूसरे कस्टमर का इंतज़ार करने लगी. एक बार उसने जोश में आकर 7 इंच लंड भोसड़ी के बजाय गांड में धंसा दिया. इसलिए आज भी कभी कभी मेरी गांड में दर्द होने लगता है.