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दोनों बहनों की कामकथा – [Part 1]

Posted on:- 2024-11-20


हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम आईशा खत्री है और हम लोग उत्तरांचल के एक छोटे से गावं से है, लेकिन में अपने गावं में कभी रही नहीं हूँ, क्योंकि मेरे पापा पुलिस विभाग में है और उनका ट्रान्सफर होता रहता था तो हमारा गावं जाना बहुत कम ही होता था. में पहाड़ी होने की वजह से बहुत गोरी हूँ और मेरी हाईट 5 फुट 5 इंच है और मेरा फिगर 36-27-38 है.

मेरे एक छोटी बहन भी है जो मुझसे भी अधिक सुंदर है और उसका नाम आईना है और उसकी हाईट 5 फुट 3 इंच है और उसका फिगर 34-25-36 है. मैंने अब तक किसी एक सिटी में तीन क्लास से अधिक नहीं पढ़ी थी और अलग-अलग शहर में रहने की वजह से मेरे दोस्त नहीं थे. में अपनी फेमिली के साथ ही रहती और मेरी माँ और बहन के साथ अच्छी बनती थी और पापा से भी अच्छी दोस्ती है, लेकिन वो ज्यादातर काम में ही व्यस्त होते है. हम लास्ट बार मुंबई में थे, लेकिन कुछ ही दिन पहले पापा का ट्रान्सफर दिल्ली हो गया.

मैंने अब तक ज्यादातर अपनी लाईफ महाराष्ट्र और गुजरात में ही गुजारी है, जहाँ लेडीस काफ़ी सुरक्षित थी. हम काफ़ी रात तक बाहर रहते और इन्जॉय करते थे, लेकिन अब दिल्ली की लाईफ बिल्कुल अलग थी, यहाँ लेडीस इतनी सुरक्षित नहीं है जितनी गुजरात और महाराष्ट्र की सिटी में होती है. पापा ने यह बात हम लोगों को पहले ही बता दी थी कि अब हम लोगों को काफ़ी ध्यान से रहना होगा, क्योंकि दिल्ली की लाईफ लेडीस के लिए इतनी सुरक्षित नहीं है. हम लोग जब ट्रान्सफर होकर दिल्ली पहुंचे तो पापा को एक हाउस मिला, जिसमे दो फ्लोर थे और नीचे के फ्लोर पर एक बेडरूम और अटेच लेट-बाथ, किचन और डाइनिंग रूम और ड्राइंगरूम था और ऊपर के फ्लोर पर एक बेडरूम और अटेच लेट-बाथ था. पापा और माँ ने आते ही नीचे का बेडरूम ले लिया और हमसे कहा कि तुम दोनों ऊपर के रूम में शिफ्ट हो जाना. हम दोनों जब ऊपर के रूम में गये तो वो रूम हमें बहुत पसंद आया, उसमें काफ़ी जगह थी. आराम से दो बेड आ सकते थे इसलिये हम दोनों ने भी वो रूम लेने के लिए हाँ कर दी.

फिर हमें यहाँ आये हुए कुछ दिन ही हुए थे और मेरा मन भी घर में बैठे-बैठ नहीं लग रहा था तो मैंने और मेरी बहन ने सोचा की थोड़ा घूम आये तो माँ ने भी कहा कि दिन का समय है तुम घूमकर आ सकती हो, बस रात होने से पहले लौट आना तो पापा ने भी हाँ कह दी. फिर मैंने बस एक पीले कलर का टॉप डाला और नीचे कॉटन की गुलाबी कलर की केफ्री पहनी और मेरी बहन ने काले कलर की फ्रॉक पहन ली और दिल्ली घूमने निकल गये और मेट्रो का टिकट लिया और सबसे पहले कुतुब मीनार देखने निकल गये.

फिर हमने मेट्रो में लेडीस कम्पार्टमेंट का उपयोग किया और फिर मेट्रो स्टेशन से उतरकर हमने ऑटो कर लिया और फिर हम कुतुब मीनार ऊतर गये, वहाँ पर जब हम देखने लगे तो हमें कुछ छिछोरे टाईप के लड़के घूरने लगे और मुझे और मेरी बहन को देखकर सीटी और आँख मारने लगे, लेकिन हम लोगों ने उन पर ध्यान नहीं दिया और कुतुब मीनार की फोटो खींचने लगे. फिर हम लोग वहाँ घूम लेने के बाद इंडिया गेट घूमने निकल गये, हमने फिर वापस मेट्रो से सफ़र किया.

इंडिया गेट घूमने के बाद हम दिल्ली के पुराने किले में घूमने चल दिए, लेकिन जब तक शाम हो गई थी और माँ लगातार वापस आने के लिए फोन कर रही थी. उनसे हमने झूठ बोल दिया कि हम घर के लिए निकल गये है और फिर हम पुराने किले घूमने चल दिए, वहाँ पर जब हम घूम रहे थे तभी वापस हमें वो ही लड़के मिले जो कुतुब मीनार पर हमें छेड़ रहे थे. फिर वापस उन लोगों ने हमें देखकर गंदे गंदे इशारे करने शुरू कर दिए, लेकिन हमने पहले की तरह उन पर ध्यान नहीं दिया और भीड़-भाड़ वाले इलाक़े में ही घूमते रहे, जिससे कि वो हमें परेशान ना कर सके, लेकिन वहाँ घूमते घूमते अंधेरा होने लगा तो मेरी बहन भी हल्का सा घबराने लगी.

मैंने उससे कहा चिंता मत कर, हम अच्छी तरह घर पहुँच जायेगें और फिर हम पूरा किला घूमकर मेट्रो स्टेशन के लिए निकल गए, लेकिन वहाँ हमें कोई ऑटो नहीं मिला और बस स्टॉप सुनसान पड़ा था. मेरी बहन बहुत घबरा गई और तभी वो बदमाश लड़के बस स्टॉप पर आ गये और हमारे पीछे आकर खड़े हो गये. हम दोनों अब बहुत घबरा गये थे और में तो अब वहाँ से भागने की सोचने लगी, लेकिन किसी तरह हिम्मत करके खड़ी रही और पीछे से वो लड़के कमेंट करने लगे कि “हाय क्या माल है कपड़ो में बाहर से इतने सुंदर लग रहे है तो सोचो बिना कपड़ो के कितने अच्छे लगेंगे” तभी दूसरा लड़का बोला “हाँ भाई ऊपर के तो है ही सुंदर, लेकिन नीचे तो देखो कितने मोटे मोटे है मन करता है कि अभी चूस लूँ” तभी बस आ गई और मुझे बहुत राहत मिली, लेकिन वो बस पूरी तरह से भरी हुई थी, लेकिन हम दोनों इतना डर चुके थे की हमने बस कंडक्टर से कुछ नहीं पूछा और बस में चढ़ गये.

हमें नहीं पता था कि वो बस कहाँ जा रही है, लेकिन मैंने सोचा कि अगले स्टॉप पर हम दोनों उतर जायेंगे और घर तक के लिए वहाँ से कुछ ऑटो कर लेंगे, लेकिन तभी कंडक्टर ने हमें अंदर घुसने को कहा तो मैंने कहा कि भैया हमें अगले स्टॉप पर उतरना है तो कंडक्टर बोला मेडम अभी अगला स्टॉप आने में टाईम है जब तक अन्दर घुस जाओ. अब हम क्या करते? हम अन्दर घुस गये, वो बस आदमीयों से बुरी तरह भरी हुई थी, उसमें कोई भी लड़की या औरत तो दिख ही नहीं रही थी, लेकिन वहाँ हम दोनों अपने आपको काफ़ी सुरक्षित महसूस कर रहे थे. तभी पता नहीं क्या हुआ बस रुक गई और थोड़ी देर में पता चला कि बस का टायर पंचर हो गया है और उसे बदलने में 15 मिनट लगेंगे.

बस के अन्दर बहुत गर्मी थी और हम दोनों पूरे पसीने में नहा गये थे. मेरा टॉप पूरा गीला हो गया था, वहाँ हर आदमी पसीने में नहा रहा था. तभी मुझे मेरे बूब्स पर कुछ महसूस हुआ, मैंने नीचे देखा तो एक बूड़ा आदमी लगभग 55 साल का होगा मेरे बूब्स को अपनी कोहनी से दबा रहा था, में थोड़ा सरक गई.

फिर थोड़ी देर बाद वो आदमी मेरी बहन के बूब्स को अपनी कोहनी से दबाने लगा, वो बड़ा अजीब सा महसूस कर रही थी. मैंने थोड़ी जगह बनाई और उसे उस आदमी से दूर अपने पास खींच लिया, लेकिन थोड़ी देर ही हुई होगी तभी कोई दूसरा आदमी मेरे कूल्हों पर हाथ फेरने लगा. में परेशान हो गई, अब अगर इधर जाऊँ तो वो बड़ा आदमी मेरे बूब्स को दबाता और इधर दूसरा आदमी मेरे चूतड़ पर हाथ फेर रहा था. अब जब तक में कुछ सोचती उससे पहले अब दूसरा हाथ भी मेरे चूतड़ पर आ गया, वो कोई तीसरा आदमी था. में समझ गई कि हम ग़लत फंस गये है. वहाँ दूसरी और मेरी बहन के पास फिर वो बड़ा आदमी आकर खड़ा हो गया और उसकी चूचीयों को फिर अपनी कोहनी से छूने लगा, यहाँ में उन हाथों से दूर हटने की कोशिश कर रही थी कि तभी उसमें से एक आदमी ने हाथ मेरे बूब्स पर रख दिया और दबाने लगा.

में एकदम हैरान हो गई और में हेल्प के लिए चिल्लाना चाहती थी, लेकिन तभी एक आदमी ने मेरे कान मे बोला “सुन लड़की इस बस में सभी मर्द है अगर तू चिल्लाई तो सब तेरा रेप कर देंगे, इसलिये चुपचाप जो हो रहा है होने दे और अगले स्टॉप पर उतर जाना, में उस आदमी की बात सुनकर चुप हो गई. फिर मेरी बहन की चूचीयाँ भी उस आदमी ने अब पूरी तरह से दबानी शुरू कर दी और एक और आदमी उसके चूतड़ मसलने लगा, वो मेरी और देखकर हेल्प माँग रही थी और वो हेल्प के लिए चिल्लाने वाली थी, लेकिन मैंने उसे चुप रहने का इशारा किया और वो शांत हो गई. फिर अब लोगों के हाथ मेरे टॉप के अन्दर जाने लगे थे और मेरे बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही मसलने लगे, मुझे दर्द बहुत हो रहा था, लेकिन में क्या करती? में तो बस के सही होकर चलने का इंतज़ार कर रही थी और अगला स्टॉप जल्दी आ जाये, भगवान से यह दुआ कर रही थी.

तभी एक आदमी ने मेरा टॉप ऊपर कर दिया, जिससे मेरी ब्रा सब भूखे लोगों के सामने आ गई. सबके मुँह में जैसे पानी आ गया हो. फिर तो मुझे पता नहीं चला कि किस किसने मेरे बूब्स दबाये होंगे और फिर उसमें से कब किस आदमी ने ब्रा खींचकर ऊतार दी पता ही नहीं चला और मेरे नंगे बूब्स सबके सामने आ गये और फिर क्या था? जो जो आदमी मेरे पीछे था, वो मेरे निपल्स और बूब्स को नोचने या मसलने में लग गया था. कुछ तो मेरे बूब्स को चाट रहे थे तो कुछ निपल्स को चूसने की कोशिश में थे और वहाँ मेरी बहन की तो लोगों ने पूरी स्कर्ट ही ऊतार फेंकी थी, वो बेचारी मेरे सामने ब्रा पेंटी मे खड़ी थी और बहुत सारे हाथ उसके हर अंग को छू रहे थे. इतने में बस सही हो गई और चल पड़ी.

मुझे कुछ राहत मिली, लेकिन तब तक मेरी बहन की ब्रा पेंटी लोगों ने फाड़ दी और वो बिल्कुल नंगी हो गई. एक आदमी तो उसके निपल्स को अपनी उंगलियों के बीच में दबाकर बुरी तरह मसल रहा था और कई आदमी उसके चूतडो को मसलने में लगे थे और उसकी गांड को खोज रहे थे, तो कई लोग उसकी चूचीयाँ मसलने में लगे थे, तो कई हाथ उसकी चूत पर थे. ऐसा लग रहा था जिसको जो अंग मिल रहा था वो उसे छूकर महसूस करना चाहता था, उसकी काली स्कर्ट तो पैरो के नीचे पड़ी थी अब मेरी परेशानी यह थी कि इस हालत में हम उतरेंगे कैसे.

मैंने अपनी बहन से स्कर्ट उठाने को कहा, वो बेचारी किसी तरह झुकी और नीचे से अपनी स्कर्ट उठाने लगी, लेकिन इतने में एक आदमी ने उसके झुकने का फ़ायदा उठाकर उसके झुकने से खुली हुई उसकी चूत में अपनी उंगली डाल दी, वो वर्जिन होने की वजह से दर्द से तिलमिला उठी. तब एक आदमी ने उसे स्कर्ट उठाकर दे दी और उसे सीधा खड़ा कर दिया और उसकी चूत में उंगली देने वाले आदमी को पीछे धक्का दे दिया. यह वो ही आदमी था, जिसने मुझे कुछ ना बोलने की सलाह दी थी और किसी तरह मेरी बहन ने वापस स्कर्ट पहन ली, लेकिन अन्दर कुछ ना होने की वजह से अभी लोग उसकी चूचीयाँ और चूत को टच कर रहे थे, यहाँ लोग मेरी केफ्री के अन्दर हाथ डालकर मेरे कूल्हों को बुरी तरह मसलने लगे.

एक आदमी तो मेरी केफ्री का बटन खोलकर उसे उतारने की कोशिश करने लगा, लेकिन मैंने किसी तरह उसे रोका. तभी बस रुकी और बस कंडक्टर ने लोगों को उतरने को बोला तो हम दोनों तेज़ी से गेट की और लपके, लेकिन लोग हमें बाहर नहीं निकलने दे रहे थे. तभी वो आदमी आया और उसने हम दोनों के लिए जगह बनाई और किसी तरह हम दोनों को उस बस से बाहर धकेला.

फिर हम दोनों नीचे उतरे तो बड़ा सुरक्षित सा महसूस हुआ और बस के जाते ही हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर रोने लगे, ऐसा गंदा एहसास हो रहा था कि क्या बताऊँ? हम दोनों तो किसी मासं के टुकड़े की तरह नोचे गये थे, लेकिन मैंने अपने आपको संभाला और आस-पास देखा और फिर अपनी बहन की ड्रेस पर लगी धूल साफ की और फिर मैंने ऑटो रोका और सीधे उसे अपने घर चलने को कहा, ऑटो में बैठे बैठे हर पल वो ही हाथ अपने बदन पर महसूस हो रहे थे, मैंने आदमीयों का इतना जानवरपन आज तक नहीं देखा था.

में अपनी रोती हुई बहन को चुप करने की कोशिश करने लगी और उसे दिलासा देने लगी, वो बेचारी तो बहुत बुरी तरह से घबरा गई थी. उसकी तो लगभग इज़्ज़त लूट गई थी, लेकिन भला हो उस आदमी का जिसने हमें उस हवसी भीड़ से बचाया और में उसे धन्यवाद भी नहीं कह पाई. काफ़ी रात को हम घर पहुंचे और हमारी ख़राब हालत देख माँ और पापा को एक मिनट भी नहीं लगा यह समझते हुए कि हमारे साथ क्या हुआ है और फिर मैंने उन्हें सब घटना बताई. माँ और पापा को जब हमारे साथ क्या हुआ है यह पता चला तो पापा तो एकदम गुस्से में आग बबूला हो गये और मुझसे बस का नंबर पूछने लगे.

फिर माँ ने उन्हें समझाया कि अब बात आगे बड़ाने का कोई फ़ायदा नहीं, क्योंकि बदनामी तो अब हम लोगों की होगी और लड़कियाँ कम से कम सही सलामत घर पर तो आ गई और माँ ने हम दोनों को अपने सीने से लगा लिया और हमें समझाने लगी कि जो हुआ उसे एक बुरा सपना समझकर भूल जायें.

फिर भी भूलना इतना आसान नहीं था, हम दोनों को संभलने में काफ़ी समय लग गया और मेरी बहन तो काफ़ी दिनों तक सदमे में रही. उसने तो दो दिनों तक खाना तक नहीं खाया. रात में घबराकर उठ जाती, फिर सो भी नहीं पाती थी और में खुद भी सदमे में थी तो उसे कहाँ संभाल पाती, लेकिन कुछ दिन में, में तो नॉर्मल होने लगी और जो हुआ था उसे भूलने की कोशिश करने लगी, लेकिन आईना अभी तक सदमे में थी. कभी कभी तो वो मुझसे लिपटकर रोने लगती. में उसे किसी तरह संभालती और कहती कि अब उस घटना को भूल जाये, वो कहती थी कि में क्या करूँ? में उस दिन को भुला ही नहीं पा रही हूँ. उनके हाथ अभी तक मुझे मेरे बदन पर महसूस होते है.

मैंने कहा जो तेरे साथ हुआ वो ही मेरे साथ भी तो हुआ है, लेकिन में तो उस बात को भुला चुकी हूँ और देख में नॉर्मल हो गई हूँ. वो बोली कि आईशा ऐसा नहीं है कि में उस दिन को भूलना नहीं चाहती हूँ, लेकिन में क्या करूँ? में भुला नहीं पा रही हूँ अब बता में क्या करूँ? मैंने उससे बोला देख आईना तू जितना उस दिन के बारे में सोचेगी उतना तुझे खराब महसूस होगा इसलिये उस दिन को अपनी लाईफ से निकाल दे और सोच की कभी ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था. उसने बोला पता नहीं तू यह कैसे कर लेती है, लेकिन मुझको तो वो दिन अपनी लाईफ से निकालकर फेंकना बड़ा मुश्किल लग रहा है. फिर इसी बात पर हम में काफ़ी बहस हुई, लेकिन में उसे समझाने में नाकामयाब रही, फिर मैंने भी यह सोचा कि सब बात वक़्त पर छोड़ देते है शायद कुछ दिन में वो अपने आप नॉर्मल हो जाये. आईना मेरे साथ ही सोती थी, एक रात प्यास लगने की वजह से मेरी नींद टूट गई और में उठी तो मैंने देखा की आईना बेड पर नहीं थी.

मैंने सोचा शायद टायलेट करने गई होगी, बाथरूम की लाईट भी चालू थी. में उठी और फ्रिज से पानी की बॉटल निकालकर पानी पीने लगी, तभी मुझे बाथरूम से सिसकारियाँ भरने की आवाजें आने लगी. में एकदम चोंक गई कि क्या हुआ? और एकदम भागकर बाथरूम के गेट तक पहुंची, लेकिन जैसे ही मैंने अंदर देखा तो आईना का टॉप बाथरूम के गेट पर ही पड़ा था और थोड़े आगे उसके शॉर्ट्स कपड़े पड़े थे और फिर ब्रा पेंटी पड़ी थी. फिर में समझ गई कि कुछ तो गड़बड़ है और धीरे धीरे गेट के अंदर गई और गेट के बगल में बनी दीवार के पीछे खड़ी हो गई और मैंने अंदर देखा तो आईना बिल्कुल नंगी खड़ी थी और अपने एक हाथ से अपनी चूत रगड़ रही थी और उसकी चूत पर झाटे नहीं थी, जबकि मेरी चूत पर बाल आ चुके थे.

वो दूसरे हाथ से अपने निप्पल को मसल रही थी. ऐसा नहीं था कि मैंने आईना को नंगा नहीं देखा हो, बल्कि रोज ही हम दोनों एक दूसरे के सामने ही कपड़े बदलते थे और एक दूसरे को आधा नंगा यानी टॉपलेस तो रोज ही देखते थे और बचपन में तो एक साथ ही नहाते थे और आज भी कभी कभी हम जब लेट उठते है तो एक ब्रश कर रहा होता है तो दूसरा नहा रहा होता है, लेकिन यह सीन कुछ अलग था वो नंगी तो थी ही, लेकिन आज में उसके बदन को पहली बार इस तरह मचलता देख रही थी. थोड़ी देर तक उसे यह करता देख में भी गर्म हो गई और अपने शॉर्ट्स के ऊपर से ही अपनी चूत रगड़ने लगी, वहाँ आईना ने एक उंगली अपनी चूत में डाली और बड़े हल्के हल्के से उसे अंदर बाहर करने लगी. थोड़ी देर ऐसा करते-करते उसकी चूत गीली हो गई और वो पस्त हो कर वही अपने चूतड़ के बल बैठ गई और अपनी दोनों टाँगें खोलकर अपनी चूत हल्के हल्के सहलाने लगी. उसकी वजह से मुझे उसकी चूत पूरी दिखाई देने लगी और मुझे पता नहीं उसे नंगा देख कर क्या हो रहा था, जो में इतना गर्म हो गई थी.

फिर वो थोड़ी देर में उठी और गेट की तरफ आने लगी, तब में फटाफट बेड पर आकर लेट गई और उसके आते ही सोने का नाटक करने लगी. फिर उसने मुझे देखा कि कही में जाग तो नहीं रही और फिर धीरे से मेरे बगल में लेट गई और कुछ देर में शायद सो गई, लेकिन मुझे नींद कहाँ आने वाली थी. में पूरी रात करवटे बदलती रही और सोचती रही कि शायद यही बात थी, जो आईना उस दिन को भूल नहीं पा रही थी.

उसे उस दिन मज़ा आया था, ना कि बुरा लगा था, लेकिन मुझे क्या हुआ था आईना को नंगा देख कर? में क्यों इतना गर्म हो गई थी उसे देख कर? कहीं मुझे भी सेक्स की इच्छा तो नहीं हो रही थी और यह सोचते-सोचते पूरी रात गुजर गई और कब मेरी आँख लग गई मुझे पता भी नहीं चला.

फिर अगली सुबह में बहुत लेट उठी और उठते ही माँ से डांट खानी पड़ी. फिर माँ ने मुझे ब्रश करके और नहाकर तुरंत ब्रेकफास्ट टेबल पर आने को कहा. में ब्रश करने बाथरूम में जाने लगी, बाथरूम में पहले से ही आईना ब्रश कर रही थी, उसे देख मेरे दिमाग़ में फिर कल रात का सीन आ गया कि कैसे आईना अपनी चूत को रगड़ रही थी. फिर आईना ने मुझे देखा और बोली कि आज तू भी लेट उठी, लेकिन तू तो बहुत जल्दी सो गई थी, मैंने कहा कि पता नहीं आज नींद नहीं खुली और फिर मैंने आईना को देखकर पूछा कि तू ठीक है ना? तो वो बोली हाँ अब में ठीक हूँ, तू सही कहती थी कि उस दिन को भुला देना ही अच्छा है. फिर उसने कहा आईशा पहले में नहा रही हूँ. मैंने कहा ठीक है यह सुनकर वो थोड़ी चौक गई, क्योंकि हमेशा हम दोनों में पहले नहाने के लिए लड़ाई होती थी, लेकिन आज मेरे कुछ ना कहने पर वो चौंक गई. फिर उसने हल्का सा मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा कि आज तुझे क्या हुआ है. तू आज मुझसे पहले नहाने की जिद नहीं करेगी. मैंने भी हल्के से मज़ाक में कह दिया कि नहीं, मैंने पहले नहाने का चांस आज तुझे दिया, आख़िर में तेरी बड़ी बहन हूँ, वो भी मुस्कुराई और नहाने चल दी, में ब्रश करती रही.

मेरे सामने एक कांच था, उसमें आईना साफ दिख रही थी, नॉर्मली वो नहाती रहती है, लेकिन मेरी नज़र कभी उस कांच पर नहीं जाती थी, लेकिन आज मेरा मन उसे फिर से नंगा देखने का कर रहा था, इसलिये ना चाहते हुए भी मेरी नज़र उस कांच पर जा रही थी. आईना ने अपना टॉप उतार दिया और हम दोनों ही घर में रात को सोते समय टॉप के नीचे ब्रा नहीं पहनते है इसलिये टॉप के उतरते ही आईना के 34D साईज़ के गोरे-गोरे बूब्स अब मेरे सामने आ गये, उन्हें देखकर पहली बार मेरे बदन में कंपकपी सी छूट गई, जबकि वैसे तो जाने कितनी बार मैंने उसे नंगा देखा होगा.

फिर उसने अपने शॉर्ट्स भी ऊतार दिए और सिर्फ़ पेंटी में आ गई उसने गुलाबी कलर की पेंटी पहन रखी थी जिस पर पीछे मिकी माऊस का टेटू बन रहा था, ऐसी ही पेंटी मैंने भी पहन रखी थी, लेकिन मेरी पेंटी पर पीछे डिजनी डक का टेटू था और इस तरह हम दोनों अपनी अपनी पेंटी पहचानते थे. फिर वो शॉवर चालू करके उसके नीचे खड़ी हो गई, जिससे उसके बैक साईड को में कांच में देख सकती थी, फिर धीरे-धीरे पानी से उसका पूरा बदन गीला होता जा रहा था और पानी से कुछ ही देर में उसकी पूरी पेंटी गीली हो गई और उसके गोरे-गोरे चूतड़ो से चिपक गई.

अब उसकी पेंटी के बाहर से उसकी चूत साफ दिख रही थी, में किसी भूखे लड़के की तरह उसे देख रही थी. मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मेरे मन में क्या चल रहा है मुझको अपने लेस्बियन होने का डर भी लग रहा था, लेकिन में क्या करती? लाख चाहते हुए भी मेरी नज़र आईना के आधे नंगे बदन से हट नहीं रही थी और बार-बार कल रात हुई घटना का मुझे ख्याल आ रहा था, वहाँ आईना को यह नहीं पता था कि में कांच में उसे देख रही थी. वो सोच रही थी कि में पीछे खड़े होकर ब्रश कर रही हूँ. फिर उसने शॉवर को बंद कर दिया और बगल से साबुन उठाकर उसे अपने बदन पर लगाने लगी. पीठ, जांघ और पैर पर साबुन लगाने के लिए उसे झुकना पड़ता, जिससे उसकी गांड और बाहर आ गई और उसकी पेंटी भी थोड़ी नीचे हो गई. जिससे उसके चूतड़ों की दरार दिखने लगी.

फिर उसने अपनी जाँघो पर साबुन लगाया, उसकी जांघें उसकी उम्र के हिसाब से काफ़ी मोटी-मोटी और चिकनी थी. मेरी भी जांघें चिकनी थी, लेकिन मेरी जाँघो पर मांस थोड़ा कम था. फिर वो साबुन अपने चेहरे पर लगाने लगी. इतने में ही साबुन उसके हाथ से फिसल गया और थोड़ी देर वो नीचे बैठ कर साबुन ढूँढती रही, लेकिन उसे साबुन नहीं मिला. उसने मुझसे साबुन उठाकर देने को कहा तो मैंने साबुन उठाया और उसे दे दिया, लेकिन उस शैतान ने मज़ाक मज़ाक में शॉवर चालू करके मेरी तरफ कर दिया और में पूरी गीली हो गई. मैंने कहा आईना यह क्या बदमाशी है तो वो बोली अरे क्या बदमाशी? तुझे भी तो नहाना था ना, तो मेरे साथ ही नहा ले और फिर हंसने लगी.

मैंने सोचा अगर में इसके साथ नहाने लगी तो कहीं मेरी लेस्बियन की इच्छा और ना बढ़ जाये और में कुछ ग़लत ना कर बैठूं इसलिये मैंने उससे कहा मुझे अभी नहीं नहाना, पहले तू नहा ले, में बाद में नहा लूँगी, लेकिन वो तो आज पूरे मज़े के मूड में थी. उसने शॉवर और तेज कर दिया और में बुरी तरह भीग गई. मैंने शॉवर उससे छीन लिया और बंद कर दिया और बाथरूम से बाहर जाने लगी, लेकिन आईना ने कहा कि अरे अब इतना भीग गई है तो पूरा ही नहा ले, क्यों नखरे कर रही है. बहुत दिनों बाद हम दोनों एक साथ नहायेंगे, मैंने भी सोचा जब में भीग ही गई हूँ तो पूरा ही नहा लूँ, लेकिन मुझे अपनी हरकतों पर कंट्रोल करना होगा.

फिर मैंने अपना टॉप उतारा और मेरे बूब्स भी बाहर आ गये. मेरे बूब्स आईना से बड़े थे और फिर मैंने अपने शॉर्ट्स भी उतार दिए और में भी पेंटी में आ गई. मेरी पेंटी पहले से ही भीगी हुई थी. आईना ने शॉवर फिर से चालू कर किया और कभी पानी अपनी और तो कभी मेरी और करने लगी. फिर वो मुझसे बोली कि आईशा मुझे मेरी पीठ पर साबुन लगा दे, कई जगह मेरा हाथ नहीं पहुँचता है.

में मुस्कुराई और बोली चल घूम, फिर में उसकी चिकनी पीठ पर साबुन लगाने लगी. इस बीच मेरा हाथ कई बार उसके बूब्स की साईड से भी टकराया. हम जब पहले नहाते थे तो तब हम दोनों इतने छोटे थे कि हमारे बूब्स उगे तक नहीं थे और अब दोनों के बूब्स अच्छे बड़े थे और ज्यादा मेरे थे. फिर आईना अचानक घूम गई और मेरे हाथों से अपने बूब्स पर साबुन लगवाने लगी, मुझे भी उसके बूब्स को छूने में मज़ा आ रहा था. इसलिये में उन पर साबुन लगाती रही.

फिर आईना ने मुझसे साबुन लेकर कहा कि लाओ अब में तेरे को भी साबुन लगा दूँ और फिर उसने साबुन लगाने की शुरुवात मेरे बूब्स से की, लेकिन वो बूब्स को साबुन लगाते-लगाते मसल रही थी और वो मेरे बूब्स के अलावा कहीं साबुन लगा ही नहीं रही थी. फिर वो अचानक बोली आईशा एक बात बता कि उस दिन जब वो आदमी तेरे बूब्स को मसल रहे थे तब तुझे कैसा लग रहा था. मैंने कहा फिर वही बात, मैंने कितनी बार तुझे समझाया कि भूल जा उस बात को, तो वो बोली कि नहीं प्लीज़ बता तो तुझे कैसा लगा? में थोड़ा उस सवाल से सकपका गई कि यह क्या पूछ रही है? और इसका में क्या उत्तर दूँ, लेकिन फिर मैंने कहा ऐसा लग रहा था कि में जानवरों के बीच में फंस गई हूँ और वो मुझे नोच रहे है. वो बोली सच? मैंने कहा हाँ सच.

फिर वो बोली अच्छा एक बात बताऊँ, मैंने कहा हाँ बता. तो वो बोली तू ग़लत मत समझना, लेकिन मुझे उस समय मेरे साथ जो हुआ वो बहुत बुरा लग रहा था और कई दिनों तक लगता रहा, लेकिन अब पता नहीं क्यों मुझे वो सब अच्छा लग रहा है. मैंने कहा तू पागल हो गई है. उसके हाथ अभी तक मेरे बूब्स पर ही चल रहे थे, वो बोली हो सकता है में पागल हो गई हूँ. फिर उसने मेरे बूब्स को हल्का हल्का दबाना शुरू कर दिया मैंने उससे पूछा कि तू यह क्या कर रही है तो वो बोली कि तुझे प्यार करने का मन कर रहा है. मैंने कहा हट पागल है तू तो वो बोली हो सकता है, लेकिन तू तो मेरी बड़ी बहन है, तू मेरी परेशानी समझ सकती है.

अभी तक उसके हाथ मेरे बूब्स को दबा रहे थे और में उसके हाथ अपने बूब्स से हटा नहीं रही थी. इससे उसको और बढावा मिल रहा था और कहीं ना कहीं जो हो रहा था वो मेरे भी मन में था, लेकिन में ऐसा करना नहीं चाह रही थी, लेकिन आईना तो सब कुछ भूल कर बेशर्म बन गई थी. मैंने उससे कहा तुझे तो डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा और में हल्का सा मुस्कुरा दी और मेरे मुस्कुराने को वो समझ गई कि मेरे मन में भी वो ही है जो उसके मन में है. अब वो मेरे बूब्स को छोड़ मुझसे लिपट गई और हम दोनों के बूब्स आपस में चिपक गये.

मेरा पूरा बदन थरथरा उठा और फिर में भी अब उत्तेजित हो गई. मैंने आईना का चेहरा अपनी और किया और उसकी आँखों में देखा और फिर उसके होठों को अपने होठों से चूम लिया. फिर बाकी काम उसने किया, वो मेरे होठों को चूसने लगी. कभी नीचे के होंठ तो कभी ऊपर के होंठ को. मेरी और उसकी जीभ भी आपस में टकरान

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