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मेरी तड़प और दोस्तों की अय्याशी

Posted on:- 2024-05-16


नमस्कार मेरे मित्रगणों  और सुनाइए कैसे आप सब , मेरा नाम जुबली   है और में 24 साल का हूँ, मेरी बॉडी स्लिम और स्किन फेयर है, इसी वजह से मेरे दोस्त मुझे लड़की बुलाते थे और मुझे छेड़ते थे और मुझे धीरे-धीरे लड़को में रूचि आने लगी, मेरी छाती और बॉडी पर बाल नहीं है, इसलिए कुछ लोग मुझे चुदकड़  लड़की भी कहते थे. मोटी गांड वाली लड़कियों की बात ही कुछ और है.


 क्या गजब चुदकड़ अंदाज थी ये स्टोरी तब कि है जब में 12वीं क्लास में पढ़ता था और में अपने पेरेंट्स का एक ही लड़का हूँ, मेरे पापा की मौत के बाद मुझे और माँ को सरकारी क्वॉर्टर छोड़कर दिल्ली आना पड़ा. मेरी माँ का नाम सुस्मिता कोछोड़े  है और वो हाउसवाईफ है, उनकी उम्र 35 साल है, उनका फिगर 36-32-38 है, स्किन गोरी है और हाईट 5 फुट 5 इंच है. लड़किया क्युआ गजब चुदकड़ होती है दोस्तों.


 मेरे मित्रगणों  क्या मॉल थी उसकी चुची पीकर मजा आ गया अब हमारी घर की स्थिति कमजोर हो गई थी तो माँ ने एक नर्सिंग होम में नर्स की जॉब कर ली. फिर कुछ दिनों में नर्सिंग होम वालों की मदद से हमें दो कमरों का घर मिल गया, अब में और माँ वहीं रहने लगे. वो जगह नर्सिंग होम के पास ही थी, अब में कभी-कभी माँ के साथ में नर्सिंग होम जाता था. मै एक नंबर का आवारा चोदा पेली करने वाला  लड़का हु मुझे लड़किया चोदना अच्छा लगता है.


 मेरे प्यारे दोस्तो चुची पिने का मजा ही कुछ और है फिर एक दिन मैंने देखा कि दो वार्डबॉय मेरी माँ के बारे में कुछ बात कर रहे हैं तो में चुपचाप जाकर उनकी बातें सुनने लगा. फिर उनमें से एक बोला साली ये सुस्मिता कोछोड़े  रोज़ मेरे लंड को तड़पाती है तो दूसरा बोला क्यों भाई? इसने क्या कर दिया? तो पहले ने कहा कि अरे साली को 2 महीने से दाना डाल रहा हूँ, लेकिन अभी तक बस चूचिया दबाने को मिले हैं. ये कहानी पढ़ कर आपका लंड खड़ा नहीं हुआ तो बताना  लड खड़ा ही हो जायेगा .


 मेरे मित्रगणों  चुत छोड़ने के बाद सुस्ती सी आ जाती है     फिर दूसरा बोला भाई मुझको तो साली देखने भी नहीं देती है, तो पहला बोला कि अरे कब तक बचेगी एक दिन में इसकी चूत और गांड को ज़रूर चोदूंगा, तो दूसरे ने बोला कि भाई जब तुझे मिल जाए तो मुझे भी दिलवा देना. क्या बताऊ मेरे मित्रगणों   उसको देखकर किसी लैंड टाइट हो जाये.


 मेरे मित्रगणों  मने बहुत सी भाभियाँ चोद राखी है अब में ये सब सुनकर दंग रह गया, अब मुझे अजीब सा लग रहा था. मैंने कभी पहले ऐसा माँ के लिए नहीं सुना था. अब वो दोनों बात ही कर रहे थे कि उन्होंने मेरी माँ को आते देखा, अब में खिड़की से सब सुन और देख रहा था. मेरे मित्रगणों  क्या मलाई वाला माल लग रहा था.    

 चुदाई की कहानी जरूर सुनना चाहिए मजे के लिए फिर माँ कमरे में आईं और बोली कि ठाकुर मेरा बेटा यहाँ नर्सिंग होम आया है, तुमने उसे इधर कहीं देखा है. फिर उनमें से जो ठाकुर था तो उसने माँ को गाली देते हुए कहा कि साली तुने मुझे क्या समझा हुआ है? में तेरे बेटे को देखता रहूँ तो माँ चुप होकर जाने लगी. तभी उसने माँ से बोला कि मैंने तुझे जो 1500 रुपये दिए थे, वो वापस कब देगी? साथियो की पुराणी मॉल छोड़ने का मजा ही कुछ और है.


 अब सुनिए चुदाई की असली कहानी माँ ने कहा कि सैलरी मिलते ही दे दूँगी. फिर वो माँ के पास आ गया और बोला कि नहीं मुझे अभी चाहिए तो माँ ने उसे बोला कि मेरे पास अभी नहीं हैं और तुमने बहुत पी रखी है. मेरे मित्रगणों  एक बार चोदते  चोदते  मेरा लंड घिस गया.


 वहा का माहौल बहुत अच्छा था  मेरे मित्रगणों   फिर उसने बोला कि हाँ और मेरे पैसे वापस कर अभी, नहीं तो में तुझे जाने नहीं दूँगा और ये कहकर उसने दूसरे वार्डबॉय को जाने को कहा. उसकी बॉडी थोड़ी बहुत तगड़ी थी और उसे देखकर लग रहा था कि वो सभी वार्डबॉय का लीडर है. अब दूसरा वार्डबॉय चुपचाप वहाँ से चला गया है और अनीश ने .कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया और माँ से बोला कि साली अब बता देती है पैसे. मेरे मित्रगणों  उस लड़की मैंने चुत का खून निकल दिया.


 वहा जबरजस्त माल भी थी मेरे मित्रगणों   फिर माँ ने बोला कि अभी मेरे पास नहीं है. फिर उसने माँ से बोला कि अच्छा चल ठीक है, आज मेरी एक तमन्ना पूरी कर दे, मुझे तुझे अभी चोदना है. फिर माँ ने बोला कि अरे ये क्या कह रहे हो अनीश? फिर उसने बोला कि साली नाटक मत कर तुझे इतने दिन से दाना डाल रहा हूँ और उस दिन तो तूने अपने चूचिया भी दबवाये थे, जब तू पैसे लेकर गई थी. मेरे मित्रगणों  चोदते चोदते चुत का भोसड़ा बन गया.


 ऐसे माहौल कौन नहीं रहना चाहेगा मेरे मित्रगणों   फिर माँ ने बोला कि प्लीज मुझे जाने दो, मेरा लड़का यहाँ पर ही है वो देख लेगा. फिर उसने बोला कि चुपकर साली अपने कपड़े उतार और ये बोलकर उसने माँ को पीछे से पकड़ लिया और ब्लाउज के ऊपर से ही माँ के चूचिया दबाने लगा. अब माँ उससे छूटने की कोशिश करने लगी, इतने में उसने माँ का ब्लाउज खोल दिया और ब्रा निकाल दी. मेरे मित्रगणों  एक बार मैंने अपने गांव के लड़की जबरजस्ती चोद दिया.


 उह क्या मॉल था मेरे मित्रगणों  गजब  अब ब्रा के निकलते ही उनके दो बड़े-बड़े, गोरे चूचिया बाहर आ गये. अब ये देखते ही मुझे कुछ होने लगा था, पता नहीं क्यों? लेकिन अब मुझे मज़ा आने लगा था. मैंने पहले कभी माँ को ऐसे नहीं देखा था, अब उनके दोनों चूचिया चमक रहे थे. फिर अनीश माँ के चूचिया को अपने हाथ में लेकर दबाने लगा, अब माँ कुछ भी नहीं कर पा रही थी. मेरा तो मन ही ख़राब हो जाता था मेरे मित्रगणों  .


 क्या बताऊ मेरे मित्रगणों  मैंने चुदाई हर लिमिट पार कर दिया फिर कुछ देर तक दबाने के बाद उसने माँ को पलट दिया और उनके चूचिया चूसने की कोशिश करने लगा. फिर माँ ने उसको बोला कि ऐसे जल्दी-जल्दी में कुछ नहीं हो पायेगा और कोई आ भी सकता है, तुम मेरे घर पर आकर करना जो भी करना आराम से बिस्तर पर करना. कुछ भी  हो माल एक जबरजस्त था .


 उसको देखकर  किसी का मन बिगड़ जाये  अब ये सुनते ही में समझ गया कि माँ क्या चाहती है? फिर उसने बोला कि घर पर तो तेरा लड़का रहता है, उसका क्या? तो माँ ने बोला कि में उसे स्कूल में डलवा रही हूँ, फिर घर खाली रहेगा. अब ये सुनते ही अनीश की आँखों में चमक आ गई और उसने माँ को अपनी पकड़ से आज़ाद कर दिया. मेरे मित्रगणों  मैंने किसी भाभी को छोड़ा नहीं है.


 उह भाई साहब की माल है उसकी चुत की बात ही कुछ और है फिर माँ ने अपनी ब्रा पहनी और ब्लाउज पहनकर जाने लगी. तभी अनीश ने बोला कि यहीं पास में एक लड़को का सरकारी स्कूल है वहीं डलवा दे अपने लड़के को. फिर माँ ने बोला कि ठीक है और मुझे लड़को के सरकारी स्कूल में डलवा दिया गया. मेरे मित्रगणों  एक बार स्कूल में चुदाई कर दिया बड़ा मजा आया.


 मेरे मित्रगणों  चोदते  चोदते  कंडोम के चीथड़े मच गए इस सबके बाद मेरे मन में अजीब सी हलचल होने लगी, उस दिन के बाद से में माँ को अलग नज़र से देखने लगा. अब में कभी-कभी अपनी माँ को नंगे नहाता हुआ देखता, लेकिन मुझे औरतो से ज़्यादा मर्दों में रूचि होने लगी थी. फिर ऐसे ही 1 महीना बीत गया, अब में स्कूल जाने लगा था. में 10वीं क्लास में था और मेरी क्लास में सब लड़के थे, क्योंकि वो लड़को का सरकारी स्कूल था. ओह्ह उसके यह का चुम्बन की तो बात अलग है.


 एक बार मैंने अपने मौसी की लड़की को जबरजस्ती चोद दिया अब वहाँ कुछ लड़के मुझसे काफ़ी बड़े भी थे, क्योंकि वो एक ही क्लास में दो तीन बार फैल हो चुके थे. उनमें से दो थे, मुनेन्द्र सागवान  जिसे सब जीतू भाई बुलाते थे और विकास होसकोडे , वो दोनों क्लास में डॉन की तरह रहते थे, जो कभी भी किसी से भी लड़ते रहते थे, सब लड़के उन दोनों से डरते थे. है उसके गांड मेरा मतलब तरबूज क्या गजब भाई.


 मेरे मित्रो मामा की लड़की की चुदाई में बड़ा मजा आया उन दोनों की नज़र अभी तक मुझ पर नहीं पड़ी थी, क्योंकि जब से मेरा एडमिशन हुआ था, तब से वो दोनों स्कूल नहीं आए थे. फिर एक दिन वो दोनों स्कूल आए, जब में क्लास में पहुँचा तब तक वो आ चुके थे. मेरे मित्रगणों  कई बार जबरजस्ती शॉट मरने में चुत से खून निकल गया.


 उसका भोसड़ा का छेड़ गजब का था मेरे मित्रगणों   फिर मुझे देखते ही जीतू ने बोला कि ये साला कौन नया आया है? तो उसे किसी ने बताया कि मेरा न्यू एडमिशन है. फिर वो दोनों मेरे पास आकर बैठ गये और मुझसे बातें करने लगे. फिर मैंने उनको अपने बारे में बताया कि कैसे में और मेरी माँ दिल्ली आकर रह रहे है? फिर वो दोनों धीरे-धीरे मेरे दोस्त बन गये और में स्कूल में उनके साथ ही रहने लगा. उसकी बूब्स  देखते ही उसको पिने की इच्छा हो गयी  .


 मेरे मित्रगणों  मै सबसे पहले उसकी गांड मरना चाहता हु  अब उन दोनों ने मुझे सब कुछ सिखा दिया था, दारू पीना, सिगरेट पीना, ब्लू फिल्म देखना और मुझे उन दोनों के साथ बहुत मज़ा आता था. वो दोनों एक नम्बर के ठरकी भी थे और हमेशा आंटीयो को छेड़ते रहते थे, वो दोनों मुझे कभी-कभी लड़कियों की तरह तैयार करके मेरे साथ नंगे होकर डांस करते थे. उसको पेलने की इच्छा दिनों से है मेरे मित्रगणों .


 अच्छा चुदाई चाहे जितनी कर साला फिर भी लैंड नहीं मनता मेरे मित्रगणों     फिर एक दिन मुनेन्द्र सागवान  ने मुझे अपने मोबाईल पर एक वीडियो दिखाया, जिसमें एक लड़का दो लड़को का लंड चूस रहा था. फिर मुनेन्द्र सागवान  बोला कि जुबली   जानेमन अब तुझे भी यहीं करना है और ये बोलते ही उसने अपना लंड अपनी पेंट से बाहर निकाल लिया. अब उसका लंड देखकर मेरी आँखे फटी की फटी रह गई, उसका लंड 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा था, मेरा लंड तो उसके सामने बच्चा था. मेरे मित्रगणों  मेरा तो मानना है जब भी चुत मारनी हो बिना कंडोम के ही मारो तभी ठीक नहीं सब बेकार.


 उसके बूर की गहराई में जाने के बाद क्या मजा आया मेरे मित्रगणों   जैसे उसके चुत में माखन भरा हो फिर उसने मुझे घुटने पर बैठने को कहा और अपना लंड चूसने को बोला तो में चुपचाप बैठकर उसका लंड चूसने लगा. अब में उसका लंड चूस ही रहा था कि तभी रूम में विकास होसकोडे  भी आ गया, उसने मुझे ऐसे देखा तो वो हंसकर जीतू से कहने लगा कि अरे तूने इसे आज ही काम पर लगा दिया तो जीतू बोला कि हाँ यार अब रहा नहीं जा रहा था. उसको देखने बाद साला चुदाई भूत सवार हो जाता मेरे मित्रगणों .


 मुझे तो कभी कभी चुदाई का टाइफिड बुखार हो जाता है और जब तक चुदाई न करू    तब तक ठीक नहीं होता फिर मैंने विकास होसकोडे  को देखते ही जीतू का लंड अपने मुँह से बाहर निकाल लिया और विकास होसकोडे  को हाय बोला, तो उसने मेरी गांड पर एक थप्पड़ मारा और बोला कि बहनचोद चूसता जा, अभी इसके बाद तुझे मेरा भी लंड चूसना है. एक बात और मेरे मित्रगणों  चुत को चोदते समय साला पता नहीं क्यों नशा सा हो जाता बस चुदाई ही दिखती है.


 उह यह उसकी नशीली आँखे में एक दम  चुदकड़ अंदाज है अब उन दोनों ने मुझे नंगा करके बिस्तर पर लेटा दिया और मुझे घोड़ी बनाकर अपना अपना लंड मेरे सामने रख दिया. अब मुझे और मज़ा आने लगा था, अब में उन दोनों के लंड बारी-बारी चूसने लगा था. फिर थोड़ी देर के बाद जीतू बोला कि अब मुझे इसकी गांड मारनी है और बिस्तर पर चढ़ गया. मेरे मित्रगणों  देखने से लगता है की वो पका चोदा पेली का काम करती होगी.


 मेरे मित्रगणों  चुत को चाटेने के  समय उसके बूर के बाल मुँह में आ रहे थे   फिर उसने अपना लंड मेरी गांड के छेद में सटाया ही था कि मैंने बोला कि जीतू भाई थोड़ा सा तेल लगा दो नहीं तो मुझे बहुत दर्द होगा. फिर उसने पास में ही पड़ी वैसलिन क्रीम निकाल कर मेरी गांड के छेद पर लगा दी और अपना लंड मेरी गांड मे डालते हुए बोला कि पहले कभी गांड में लंड लिया है क्या? तो में बोला कि हाँ एक बार एक अंकल ने मुझे चोदा था. मेरे मित्रगणों  मुझे तो कभी कभी चुत के दर्शन मात्र से खूब मजा आता क्योकि मई पहले बहुत बार अपने मौसी के लड़की  को बिना पैंटी के देखा था  वाह क्या मजा आया था.


 अब चुदाई करने को  १००% तैयार थी   फिर वो बोला कि साले में चुदवाने की बहुत गर्मी है और अपना लंड मेरी मुलायम गांड में डाल दिया. अब उसका लंड मेरी गांड में आधा ही गया था कि मेरी चीख निकल गई. फिर उन दोनों ने मुझे बारी-बारी से चोदा और तब से में उनकी रंडी बन गयी. अब उन दोनों को जब भी मौका मिलता तो कभी स्कूल में या विकास होसकोडे  के फ्लेट पर तो वो दोनों मुझे चोदते और मुझसे अपना लंड चुसवाते थे. मन कर रहा था कब इसे चोद लू मेरा लंड समझने  को तैयार नहीं था .


 अब बिना चुदाई के रह नहीं सकता था मेरे मित्रगणों  मै पागल सा हो गया  इस तरह 3 महीने बीत गये. अब में अपनी माँ के साथ अकेला दो कमरों के घर में रहता था. फिर एक दिन पेरेंट्स मिटिंग थी तो मेरी माँ स्कूल आई. फिर टीचर से मिलने के बाद विकास होसकोडे  और जीतू मेरे पास आए और मुझे माँ से उन्हें मिलवाना पड़ा. अब जीतू तो माँ को देखता ही रह गया. फिर कुछ देर के बाद हम घर चले गये. ओह ओह ओह है कब लंड को घुसा दू ऐसा लग रहा था मेरे मित्रगणों  .


 मॉल था चुदाई के लायक  फिर अगले दिन स्कूल की टॉयलेट में जीतू ने मुझे बुलाया और मेरे आते ही मुझे अंदर ले जाकर विकास होसकोडे  को बुलाया. फिर विकास होसकोडे  के आते ही उन दोनों ने टॉयलेट का दरवाजा बंद कर दिया और जीतू ने मुझे घुटने पर बैठा दिया और अपना लंड निकाल कर मुझसे चूसने को कहा. मैंने सोचा पेलुँगा जरूर  कभी न कभी .    


 माल चुदाई के लिए तड़प रही थी मेरे मित्रगणों   फिर मैंने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा. अब में जीतू का लंड चूस ही रहा था कि विकास होसकोडे  ने अपनी जेब से मोबाईल निकाला और मेरा वीडियो बनाने लगा. फिर जीतू ने अपना लंड मेरे मुँह से निकाला और मुझसे बोला कि तेरी माँ का क्या नाम है? तो में बोला कि सुस्मिता कोछोड़े . चोदने के बाद थोड़ा रिलेक्स हुआ भाइयो क्या गजब मजा जब माल अच्छा हो तो कौन नहीं  चोदना चाहेगा  है न मेरे मित्रगणों  आया .


फिर उसने अपना लंड मेरे मुँह डालते हुए बोला कि तेरी माँ बहुत हॉट हैं और में उसको चोदना चाहता हूँ. अब में ये सुनकर हैरान रह गया और बोला कि ये क्या कह रहे हो जीतू? तो उसने मुझे एक थप्पड़ मारा और बोला कि हाँ मादरचोद सही कह रहा हूँ, ऐसी माल को कोई जाने देता है क्या? तो में बोला कि मेरी माँ बहुत सीधी है और वो ये सब नहीं करती है.

 सेक्स करते समय बहुत मजा आया था मेरे मित्रगणों  फिर जीतू बोला कि अरे सब करती हैं और मैंने बहुत को चोदा है समझा, अब तू हमारी दोस्ती अपनी माँ से करवा, नहीं तो ये वीडियो पूरे स्कूल में बाँट देंगे और तेरी माँ को भी दिखायेंगे. अब में कुछ भी नहीं कर सकता था, क्योंकि वो दोनों मुझसे बड़े और तगड़े थे. उसके ओठ रसीले थे मेरे मित्रगणों  मॉल गजब था मेरे मित्रगणों.
 उसके लिप्स की चूसै यू ही चलती रही  मेरे मित्रगणों    फिर मैंने बोला कि ठीक है. फिर हम टॉयलेट से बाहर आ गये. अब में अपना मुँह पोंछ रहा था कि तभी विकास होसकोडे  मेरी गांड पर थप्पड़ मारते हुए बोला कि आज साले की गांड नहीं मारी, तो जीतू बोला कि कोई बात नहीं इसको शाम को घर बुला ले, वहीं पर इसकी गांड मार लेते हैं और मुझसे अपनी माँ की ब्रा और पेंटी लाने को बोला और वहीं पर इसकी माँ को चोदने का प्लान भी बनाते है. दोस्तों ये थी मेरी लंड की तड़प जो मुझे यहाँ तक ले आई. मेरे मित्रगणों  वो मदहोस थी चुदाई के लिए उसके बूब्स क्या मस्त थे मेरे मित्रगणों  अब मै क्या कहु मेरे मित्रगणों.

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