हैल्लो साथियों, में नेहा एक बार फिर से आप लोगों के सामने अपनी दूसरी सच्ची चुदाई की कहानी लेकर आई हूँ और यह हमारे बहुत रोचक सेक्स अनुभव था. साथियों यह घटना उस समय की है, जब हमारे कॉलेज की छुट्टियाँ शुरू हो गई थी, इसलिए में खुशी खुशी अपने घर पर लौट रही थी और मुझे नए नए इंजिनियरिंग कॉलेज जाने में बहुत मज़ा आ रहा था और मम्मी ने मेरी अच्छी पढ़ाई की लगन को देखकर मुझे एक एप्पल का 49800 रूपये का एक फोन दे दिया था.
अब हमारे कॉलेज में कुछ दोस्त भी बन गए थे, उन सभी में से एक थी मधु, जो हमारे पास बैठती थी और वो बहुत बदमाश किस्म की लड़की थी. वो हर रोज मुझे अपने मोबाईल पर ब्लूफिल्म दिखाती और वो हमेशा बहुत कमाल की फिल्म लाती थी, वो जब भी हमारे घर पर आती तो हम दोनों बहुत मज़े करते और ब्लूफिल्म देखते फेक अकाउंट पर सेक्स चेटिंग करते और कभी कभी मज़ाक में वो हमारे बूब्स को दबा देती तो कभी में उसके बूब्स को दबा देती थी और हम दोनों ने बहुत कम समय में बहुत सारी सेक्सी कहानियाँ भी पढ़ी, जिसमें मैंने चुदाई के बहुत सारे अलग अलग तरीके देखे, वो बहुत मजेदार रोचक थे और में कॉलेज के इन एक दो महीनो में बहुत बदल गयी थी. साथियों यह सब मेरी दोस्त मधु के कारण था.
वो मुझे अक्सर अपनी झूठी सेक्स कहानी सुनाकर गरम करती थी, वैसे स्कूल में मैंने ऐसा कभी नहीं किया था, क्योंकि में थोड़ी सी मोटी हूँ, इसलिए हमारे ज़्यादा दोस्त भी नहीं थे और मधु के साथ दोस्ती होने के बाद मुझे अपने लड़की होने का एहसास होने लगा था और में अब लड़को के तरफ आकर्षित होने लगी थी, लेकिन मेरी इस अच्छी कहानी में दुखो की भी कमी नहीं थी, क्योंकि मेरी मम्मी एक प्राइवेट कंपनी में काम करती थी, पापा और उनका दस साल पहले ही तलाक़ हो चुका था और मेरी मम्मी बहुत गुस्सैल स्वभाव की औरत है, वो आज भी मुझे हर छोटी छोटी बातों पर डांटती है.
साथियों यह घटना एक साल पहले की है, तब में 20 साल की थी और मेरी लम्बाई 5.3 और मेरा फिगर 36-32-36, रंग गोरा गोल चेहरा, में स्वभाव से थोड़ी भोली थी, यह सब उस कुतिया मधु के वजह से हुआ. साथियों उसने एक दिन मुझे मज़ाक मज़ाक में ऐसा धक्का दिया कि मेरा एप्पल का फोन नीचे गिरकर टूट गया और हम दोनों ने मिलकर उसे किसी तरह जोड़ दिया, लेकिन वो बिल्कुल भी काम नहीं कर रहा था और अब में बहुत डर गई और मैंने मन ही मन सोचा कि अगर मैंने अपनी मम्मी को बताया तो मुझे बहुत मार पड़ेगी और नया फोन खराब हुआ है, यह बात मम्मी को पता ही चल जाएगी, लेकिन अब हमारे पास पैसे भी नहीं थे, क्योंकि मम्मी तो मुझे गिनकर हर महीने 500 रूपये महीने का देती है, जो हमारे पास खर्चा हो जाता है, हमारे पास बचता एक रुपया भी नहीं है और में अब फोन के खराब होने की बात को सोचकर बहुत उदास थी और मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि में अब क्या करूं? तो मधु ने मुझसे कहा कि उसे एक दुकान का पता है, जो सस्ते में फोन ठीक करता है. फिर मैंने कहा कि हमारे पास जमा किए हुए 700 रूपये है, तो उसने चिल्लाकर कहा कि हाँ यार बहुत है और में उसके साथ दुकान पर चली गई और हम दुकान पर पहुंचते तो देखा कि वहां पर एक 11-12 साल का बच्चा बैठा हुआ है.
मैंने जब उससे फोन ठीक करवाने का खर्चा पूछा तो उसने मुझसे कहा कि उसे पता नहीं, उसका मालिक आएगा तो बता सकता है और वो कब आएगा पता नहीं. ऐसे हालत में मधु ने मुझसे कहा कि तू ज्यादा चिंता मत ले यार, यह इसको फोन देकर चल, दो दिन बाद वो इसको ठीक कर देगा तो हम आकर ले जाएँगे, वो पैसे भी ज़्यादा नहीं लेता.
साथियों मुझे उसकी बातों पर पूरा भरोसा था, इसलिए में उस बच्चे के हाथ में फोन देकर अपने घर पर आ गई, दो दिन तक में घर पर मम्मी से छुपकर रही कि कहीं मुझसे मोबाईल के बारे में ना पूछ ले. फिर जब में मधु उस दुकान पर गये तो इस बार वहां पर एक 35-38 साल का हट्टा कट्टा सांवला सा आदमी बैठा हुआ था. वो लंबा चौड़े सीने वाला, सांवला रंग, हाथ में लोहे की चूड़ी, उसने एक कान में बाली पहनी हुई थी, जब हमने अपने मोबाईल के बारे में उसको बताया तो उसने हमारा मोबाईल दे दिया और जो खर्चा उसने हमे बताया हमारे उसको सुनकर होश ही उड़ गए, वो बोला 2500 रूपये. अब हम दोनों ने उसे बहुत कोसा और पैसे कम करने को कहा, लेकिन उसने कहा कि उसने हमारे मोबाईल पर 2000 रूपये की एक टूटी हुई दूसरी मशीन लगाई है, दूसरे दुकान वाले इसके 4000 रूपये तक माँगते है.
फिर मधु ने उससे कहा कि हम यह पैसे आपको किस्तो में चुका देंगे, लेकिन वो मानने वाला नहीं था, हम पूरी तरह से घबरा गये थे. तभी मधु ने कह दिया कि पैसे हमारे घर पर है, वो कल सुबह दस बजे आकर फोन ले जाएगी, तो उसने उस पर भरोसा किया और हमारे घर का पता लेकर उसने हमारे 700 रूपये भी रख लिए और हमे जाने दिया. साथियों मुझे तब लगा कि हम कल तक पैसों का कहीं से जुगाड़ कर लेंगे, यह बात सोचकर मधु ने उससे ऐसा कहाँ होगा तो में भी उसके साथ चुपचाप वहां से चली आई.
अब घर पर आने के बाद में उसने बताया कि उसने जो पता उसको दिया है, उस कागज पर उसने हमारे घर का पता ग़लत लिख दिया है और वो दुकानदार कभी भी मुझे नहीं ढूंड पाएगा, तो मुझे उसकी यह बात सुनकर बहुत राहत मिली कि आज पहली बार उसने कोई दिमाग़ का काम किया था.
उसके अगले दिन रोज की तरह मम्मी सुबह 8 बजे ही अपनी नौकरी पर निकल गई और करीब 11 बजे में कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रही थी कि तभी दरवाजे पर लगी घटी बजी. फिर मैंने सोचा कि लगता है हमारी कोई पड़ोसन होगी, वो चीनी या चायपत्ति माँगने आई होगी, लेकिन दरवाज़ा खोलते ही मेरा सर दर्द से फटने लगा, क्योंकि अब ठीक हमारे सामने वही मोबाईल ठीक करने वाला था. उसकी आँखे पहले से बड़ी बड़ी और लाल नज़र आ रही थी.
आदमी : क्यों मेडम जी, आप लोग ने जानबूझ कर मुझे ग़लत फ्लेट नंबर दिए थे ना? लेकिन मैंने आपके नाम पूछते हुए आपको और आपके फ्लेट को ढूंड ही लिया.
में : मेरा नाम?
आदमी : हाँ कल मैंने आप दोनों को एक दूसरे के नाम से पुकारते हुए सुना था, चलो अब आप हमारे पैसे दो वरना में यहाँ पर ज़ोर से चिल्ला चिल्लाकर सभी को आप लोगों की हैसियत बता दूँगा, साले रहते बड़े बड़े घर में है और हज़ार रुपये के लिए ग़रीबो को ठगते है.
साथियों वो मुझे बहुत बुरी तरह से कोसने लगा था तो मैंने कोई बाहर सुन ना ले और मेरी मम्मी को ना बता दे, यह बात सोचते हुए उसको अंदर बुलाकर ड्रॉयिंग रूम में बैठा दिया, लेकिन अब मुझे बहुत घबराहट हो रही थी, में उसे वहां पर बैठाकर अंदर गई और मधु को अपने दूसरे फोन से कॉल किया, जैसे ही मैंने उसे यह बात बताई तो उसने मेरी मदद करने से साफ मना कर दिया वो और मुझसे कहने लगी कि उसके पास मेरा मोबाईल है तो में ही उससे बात करूं तो मुझे भी उसका ऐसा जवाब सुनकर बहुत गुस्सा आया.
में : साली कुतिया तेरी वजह से में आज फंस गई हूँ और तू ही मेरी आज मदद भी नहीं कर रही, मुझे तेरी ऐसी दोस्ती नहीं चाहिए, कहीं मर जा साली.
मधु : क्या? मेरी वजह से, तुझे क्या में अपनी गोद में उठाकर उस दुकान पर ले गई थी, चल अब अच्छा हुआ मर रंडी साली, तेरे पास पैसे तो होंगे नहीं अब तू उससे अपनी चूत चुदवाकर उसके पैसे चुका.
साथियों मुझसे यह बात कहकर उसने फोन ज़ोर से पटक दिया और मुझे रोना आने लगा था. फिर कुछ मिनट तक में एकदम चुपचाप खड़ी रही और सोचती रही कि में अब क्या करूं? क्या उसको अपने घर के सामान दे दूँ? नहीं वो नहीं लेगा और उसने लिया भी तो मम्मी मुझे पकड़ लेगी और वो मुझे बहुत मारेगी, क्या में मम्मी की अलमारी को तोड़ दूँ? नहीं में यह भी नहीं कर सकती, क्या में कहीं से बाहर निकलने की जगह देखकर भाग जाऊं? नहीं यह भी नहीं हो सकता, क्योंकि हम 4th मंजिल पर रहते है या फिर मधु के कहे तरीके से में उसके साथ एक बार सो जाऊं, मतलब पैसों की जगह में अपनी चूत को कुर्बान कर दूँ?
साथियों मुझे वो कुछ मिनट अब सालो से लग रहे थे और में पूरी तरह से पसीने से भीग चुकी थी और फिर नहीं नहीं यह मेरी समस्या है और में ही इसको हल करूँगी. तभी बाहर से आवाज आई, मेडम अब कितना टाईम लगेगा, मुझे और भी बहुत सारे काम है? तो मैंने कुछ नहीं कहा और मैंने अपने कपड़े बदले, लीप स्टिक, पर्फ्यूम लगाया और फिर में बेडरूम से बाहर आ गई.
मैंने उस समय अपनी टी-शर्ट के अंदर से अपनी ब्रा को उतार दिया था और अपनी पेंटी और पज़ामा उतारकर एक छोटी सी स्कर्ट को पहन लिया था, क्योंकि अब मैंने फ़ैसला कर लिया था कि में इस आदमी को आज अपनी तरफ आकर्षित करके किसी तरह छुटकारा पा लूँगी, उससे पहले मुझे थोड़ा सा डर था कि में मोटी हूँ, इसलिए शायद में इतनी सेक्सी नहीं हूँ और क्या पता यह मुझसे पटेगा भी या नहीं, जो भी हो हमारे पास मेरी चूत तो है ही, में उसे ज़रूर फंसा लूँगी.
साथियों यह सभी बातें सोचते हुए में जैसे ही अपने बेडरूम से बाहर निकली तो मैंने देखा कि वो मुझे लगातार घूर रहा था, में उसके सामने चुपचाप खड़ी होकर उसकी सोच को जानने की कोशिश कर रही थी, वो मेरी लाल कलर की टी-शर्ट को देख रहा था और शायद ब्रा नहीं होने से हमारे बूब्स के निप्पल भी बाहर से ही उसको नजर आ रहे थे, लेकिन मैंने उसको देखने दिया और फिर में आकर उसके सामने अपने एक पैर पर दूसरे पैर को रखकर बैठ गई, जिसकी वजह से मेरी मोटी गोरी, गोरी जाँघ उसको साफ साफ दिख रही थी और वो कुछ नहीं कह रहा था, वो तो बस मुझे लगातार घूरे जा रहा था.
में : देखो भैया हमारे पास पैसे तो अभी नहीं है हाँ, लेकिन आपको में दो महीने में आपके सारे पैसे चुका दूँगी, आप मुझ पर भरोसा करो, में कहीं भागकर नहीं जाने वाली.
साथियों मैंने गौर किया तो वो अब भी मेरी जाँघो को ही देख रहा था. मैंने अपने आपको हिम्मत दी और धीरे से बात करते करते अपने दोनों घुटने खोलकर एक दूसरे से अलग अलग कर दिए, जिसको देखकर उसकी आँखे चमक उठी, क्योंकि साथियों मेरी स्कर्ट के अंदर ट्यूब लाईट की रौशनी जा रही थी, जिसकी वजह से उसको मेरी नंगी खुली हुई चूत साफ साफ दिख रही थी, वो बस चुपचाप अपनी एक टक नजर से मेरी चूत को देखे जा रहा था.
फिर मैंने देखा कि उसकी पेंट में अब एक ऊंचाई बन गयी थी, उसका मतलब साफ था कि उसके लंड ने अपना आकार बदलना शुरू कर दिया था, वो सब कुछ मेरी चूत की वजह से था. साथियों मुझे थोड़ा सा डर तो था, लेकिन मुझे अब एक अजीब सा अनुभव महसूस होने लगा था और तभी वो बोला.
आदमी : यह सब नहीं चलेगा मुझे आप अभी पैसे दो, नहीं तो में अभी बाहर जाकर चिल्लाता हूँ.
में : रुको रूको ना प्लीज़ मुझे एक मौका दो, में दस दिन में तुम्हारे सारे पैसे चुका दूँगी.
आदमी : क्या कहा? नहीं नहीं अच्छा चलो अगर तुम्हारे पास सही में पैसे नहीं तो मुझे तुम चार चुम्मे दे दो, तो में तुमसे कोई पैसे नहीं लूँगा.
में : तुमने क्या कहा चुम्मा? देखो जैसा तुम समझ रहे हो, में वैसी लड़की नहीं हूँ.
आदमी : चुपकर साली अपनी पेंट खोलकर ऐसे कपड़े पहनकर सोचती है, तू मुझे बेबकुफ़ बना देगी, तू मुझे चुम्मे देगी या फिर में बाहर जाऊं?
साथियों मैंने मन ही मन सोचा कि चलो मज़ा आ गया, यह मुझे सिर्फ़ चार चुम्मे देकर छोड़ देगा, में इसके चले जाने के बाद में अपने गालो को साबुन से धो लूँगी और काम खत्म. उसके बाद में उस मधु नाम की कुतिया को देख लूँगी. मैंने अब थोड़ी सी नौटंकी करते हुए उससे कहा हाँ ठीक है, लेकिन गालों पर और कुछ नहीं. उसके बाद हमारा सारा पिछला हिसाब बराबर क्यों ठीक है ना?
आदमी : अरे साली तू मुझे क्या पागल समझी है, चुम्मा में गाल पर नहीं वहाँ पर लूँगा जहाँ पर में चाहूँगा.
में : क्या यानी कहाँ पर?
आदमी : वो तो जब हमारी बात पक्की होगी, उसके बाद में बताऊंगा.
में : हाँ ठीक है बात पक्की, लेकिन सिर्फ़ चुम्मे और कुछ नहीं समझे? वादा करो.
आदमी : अरे ठीक है चल पहले होंठो पर.
अब वो मुझसे यह बात कहकर सामने आ गया, में खड़ी हुई तो उसने मेरी मोटी तोंद को कमर को झटके से अपनी तरफ खींच लिया और में आगे आ गई, तो उसने अपने होंठ हमारे होंठो पर रख दिए और किस करने लगा, उसकी हल्की उगी हुई दाड़ी हमारे होंठो पर चुभते हुए अच्छे लग रहे थे और उसके होंठ हमारे होंठो को चूस रहे थे.