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दोस्त की बहन को लंड पर नचाया – [पार्ट 1]

Posted on:- 2024-09-30


प्यार भरा नमस्ते मित्रगणों,हमारे दोस्त की बहन सितासी की शादी थी और अगले दिन उसको उबटन लगना था. सितासी की दोनों सिस्टर शन्नो और सुचंद्रा और सितासी की फ्रेंड्स.. सितासी को उबटन लगाने के लिए अंदर वाले आँगन में ले गयी और साथ में कुछ आंटीयां भी थी. फिर ब्यूटीशियन और उसकी सिस्टर, फ्रेंड्स और उसकी रिश्तेदार कुछ युवतियां सितासी को उबटन लगा रही थी. में ऊपर छत पर जाकर जमीन पर लेट गया और जाली से नीचे झाँककर सितासी को उबटन लगते हुए देख रहा था.. क्योंकि अंदर किसी भी जेंट्स का जाना मना था. उबटन लगने के टाईम पर सितासी ने केवल पेटीकोट और ब्लाउज पहना हुआ था और उसकी कमर पूरी खुली हुई थी और पेटीकोट भी जाँघ तक ऊपर उठाया हुआ था.

मित्रगणों, सभी युवतियां उसकी गोरी गोरी गोल गोल जाँघो पर और उसके हाथ और उसकी नंगी कमर पर उबटन लगा रही थी. मैंने पहली बार किसी लड़की को उबटन लगते हुए देखा था और सितासी की गोरी गोरी जाँघो को और उसकी सुंदर कमर को देखकर मेरा लंड बहुत टाईट और कड़क हो गया. मेरा लंड मुझे परेशान करने लगा तो मैंने ऊपर छत पर ही अपना लंड निकाल लिया. मेरा लंड लोहे की रोड की तरह कड़क हो चुका था और इतना गरम था जैसे कि लोहे के सरिये को अभी अभी आग की भट्टी से निकाला हो और फिर मैंने वहीं पर मुठ मारकर अपने लंड की तड़प को ठंडा किया और फिर से छिपकर नीचे देखने लगा. फिर सब लोग सितासी को अंदर उसके रूम में ले गये और उसकी सिस्टर सुचंद्रा और एक दो फ्रेंड्स को सितासी के पास छोड़कर बाकी लोग बाहर आ गये और वो लोग दूसरे कामो में व्यस्त हो गये. सितासी के रूम का दरवाजा बंद था और रूम के अंदर से सब लड़कियों के हंसने की आवाज़ आ रही थी. फिर में भी रूम के पास ही एक परिचित अंकल के पास खड़ा था कि तभी सितासी की मम्मी ने दरवाजा बजाकर सितासी को बोला कि जल्दी से नहा ले.. क्योंकि थोड़ी देर के बाद शाम होने वाली थी और मेहन्दी की रस्म अदा करनी है. सितासी और उसकी बड़ी बहन सुचंद्रा का एक ही रूम था और सितासी के भाई संजू और सेमंती का दूसरा रूम था..

लेकिन दोनों रूम के बीच में एक ही टॉयलेट था जिसका दरवाजा दोनों ही रूम से था. फिर मैंने जैसे ही सुना कि सितासी नहाने जा रही है तो मेरा शैतानी दिमाग़ हरकत में आया और में धीरे से वहाँ से खिसक कर सेमंती के रूम में चला गया और स्नानघर के दरवाजे का लॉक खोलकर के सितासी के स्नानघर के अंदर आने का इंतज़ार करने लगा और जैसे ही सितासी अपने रूम से स्नानघर के अंदर आई तो में भी सेमंती के रूम से दरवाजा खोलकर स्नानघर के अंदर चला गया.. लेकिन इससे पहले की सितासी कुछ बोलती मैंने उसके मुहं पर अपना एक हाथ रख दिया और उसे चुप रहने को कहा. फिर वो धीरे से बोली कि तुम यह क्या कर रहे हो? और किसी को पता चल गया तो क्या होगा? तो मैंने धीरे से उसके पास आ कर बोला कि सभी लोग अपने अपने कामो में व्यस्त है और किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा क्योंकि सभी को पता है.. कि तुम स्नानघर में हो और बालों को शेम्पू करने और उबटन उतारने में वैसे भी बहुत टाईम लगता है बस तुम थोड़ा हिम्मत से काम लो.

फिर वो थोड़ा नॉर्मल हो गयी और मैंने उससे कहा कि क्या तुम कभी किसी मर्द के हाथ से नहाई हो? तो वो बोली कि नहीं.. फिर मैंने उससे कहा कि चलो में आज तुम्हे नहलाता हूँ.. तुम्हे आज नहाने में जन्नत का मज़ा आएगा. तो सितासी मुझसे बोली कि सबने मेरी जाँघो पर और कमर पर वैसे भी इतना उबटन लगा लगाकर मसाज की है.. में वैसे ही बहुत गरम हो गयी हूँ. फिर मैंने सितासी का ब्लाउज उतार दिया और उसने अपना पेटीकोट और पेंटी भी उतार दी. मैंने भी अपने कपड़े उतारकर दरवाजा के हेंगर पर डाल दिए. अब मैंने अपने दांतो से उसकी कमर पर काटते हुए उसकी ब्रा के हुक खोले वो सिसक उठी.

फिर मैंने उसके पूरे जिस्म पर पानी डाला और उसके उबटन को धोने लगा और वो बिल्कुल शांत खड़ी हुई मजे कर रही थी. मैंने जल्दी जल्दी उसका उबटन साफ किया और फिर उसे स्टूल पर बैठा दिया और मैंने साबुन लेकर उसके जिस्म पर हल्के हल्के नरम नरम हाथों से लगाया और सितासी के पीछे से जाकर उसके दोनों बूब्स की मसाज करने लगा और उसके जिस्म को मैंने ठंडे ठंडे पानी से नहलाया था.. लेकिन फिर भी उसके जिस्म से आग निकल रही थी और ऊपर से शावर की ठंडे पानी की धार उसके जिस्म में डबल आग लगा रही थी.

इसके बाद मैंने अपने हाथों में साबुन लिया और उसके पीछे से जाकर अपने दोनों हाथों से उसकी चूत पर सोप लगाने लगा. मैंने आज दिन के उजाले में उसकी चूत देखी तो मस्त हो गया और उसकी चूत ऐसी लग रही थी जैसे कि किसी नारंगी के दो टुकड़े आपस में जुड़े हो और उनके बीच की नरम चमकती हुई लाईन हमारे लंड को न्योता दे रही थी.. में उसकी चूत पर मसाज कर रहा था और धीरे धीरे सितासी का बदन अकड़ता जा रहा था. फिर मैंने उसकी चूत पर मसाज करते करते धीरे से अपनी सीधे हाथ की छोटी ऊँगली को उसकी चूत के अंदर डाल दिया और अपने सीधे हाथ की छोटी ऊँगली से उसकी चूत के अंगूर को धीरे धीरे सहलाने लगा और उसकी पीठ को अपनी जीभ से चाट रहा था और कभी कभी उसकी कमर पर और उसकी गर्दन और कान पर अपने दाँतो से काट रहा था. फिर मैंने उसे सीधा किया और लिप किस करने लगा.. वो मेरा लंड पकड़कर हिलाने लगी और मेरी गोलियाँ सहलाने लगी.

इसके बाद में उसका एक बूब्स चूसने लगा और दूसरे को हाथ से मसलना शुरू कर दिया और फिर सितासी की सिसकियाँ निकल रही थी और वो गरम गरम साँस छोड़ रही थी. मैंने उसे फिर से स्टूल पर बैठाया और में अपने घुटनो पर बैठ गया और सितासी के दोनों पैरों को फैलाकर अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटने लगा और 1-2 मिनट के बाद ही सितासी अपना सर हिलाने लगी और उसने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत से चिपका दिया और अपनी गांड उठा उठाकर अपनी चूत जल्दी जल्दी हमारे मुहं पर रगड़ने लगी और जल्दी ही उसकी चूत से गरम गरम क्रीम निकल कर हमारे चहरे पर लग गया और वो शांत हो गयी और उसका बदन बिल्कुल ढीला हो गया.

इसके बाद मैंने खड़े होकर अपना लंड उसके मुहं में डाल दिया और वो अपने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर चूसने लगी और दूसरे हाथ से मेरी गांड के छेद को और मेरी गोलियों को सहलाने लगी. वो हमारे लंड की टोपी को अपनी जीभ से चाट रही थी और हमारे लंड की चमड़ी को अपने दांत से काट रही थी. फिर उसने जल्दी जल्दी मेरा लंड अपने मुहं में हिलना शुरू कर दिया और में उसके मुहं में ही झड़ गया और उसने हमारे लंड को चाट चाटकर साफ कर दिया. अब मैंने उठ कर बाथटब की ड्रेन होल पर केप लगा दी जिससे कि पानी बाहर ना जा सके और फिर मैंने बाथ टब में पानी भरकर उसमे फोम सोप मिक्स कर दिया और बाथटब में सितासी को लेटाकर स्पंज से उसके गोरे गोरे बदन पर फोम लगाने लगा. आज में उसके गुलाबी जिस्म को देखकर पागल हो रहा था और उसके जिस्म का कलर ऐसा था मानो कि दूध में किसी ने केसर घोल दिया हो.

इसके बाद में भी बाथटब में लेट गया और सितासी ने मेरा लंड अपनी भोसड़े में डाला. फिर वो हमारे ऊपर बैठ गयी और हमारे ऊपर उछलने लगी और में उसके दोनों बूब्स का मज़ा ले रहा था और उसके बूब्स को कभी चूस रहा था और कभी अपने हाथों से दबा रहा था और कुछ ही देर के बाद हमारे लंड का गरम गरम पानी उसकी चूत की मलाई के साथ मिक्स हो गया और लंड से निकली क्रीम उसकी चूत से टपकने लगी. उसके चूत से झकड़.. झकड़.. झकड़.. झप.. झप... की आवाजें आ रही थी.   फिर मैंने उसके बालों को शेम्पू किया और फिर हम दोनों ने एक बाथ ली और फिर मैंने उसके बदन को अच्छे से टावल से साफ किया और फिर पहले वो धीरे से स्नानघर से निकल कर अपने रूम में चली गयी और में भी सही मौका देखकर स्नानघर से सेमंती के रूम में चला गया.

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