मुख्य पृष्ठ » कजिन के साथ सेक्स स्टोरीज » भाई के दोस्त ने पेंटी खुलवाई


भाई के दोस्त ने पेंटी खुलवाई

Posted on:- 2024-10-23


हैल्लो प्यार भरा नमस्ते मित्रगणों.. मेरा नाम सोनल है और मेरी उम्र 19 साल की है.. मेरा फिगर 32-28-34 है और में चुदाई की बहुत शौकीन हूँ.. जब में पहली बार चुदी तब से अब तक चुदाई ही मेरी ज़िंदगी है. में अभी तक 22 लोगों से चुदवा चुकी हूँ.. मित्रगणों अब में अपनी स्टोरी पर आती हूँ.

मित्रगणों यह एक साल पहले की बात है.. मेरे छोटे भाई के 4 दिन के बाद परीक्षा शुरू होने वाली थी और उसका पहला पेपर हिंदी का था.. लेकिन उसके चश्मे का नंबर बढ़ गया था.. इसलिए मेरी माँ उसे डॉक्टर के पास ले गयी थी. मेरा भाई और उसका दोस्त विश्वेश मिलकर पढ़ाई करने वाले थे. विश्वेश की कोचिंग में दूसरे ही दिन गणित का टेस्ट था और वो स्कूल के एग्जाम के पहले था और मेरा भाई गणित में बहुत अच्छा था. विश्वेश एक टपोरी लड़का था.. वो बहुत शरारती, मस्तीखोर, बत्तमीज और पढ़ाई में बहुत खराब था और वो हम लोगों के इलाके में एक छोटी सी खोली में रहता था. उसे मेरा भाई हमारे घर पर आज गणित सिखाने वाला था.. इसलिए वो हमारे घर आया.. लेकिन मेरे भाई ने विश्वेश को नहीं बताया था कि वो आज डॉक्टर के पास जाने वाला है. तो विश्वेश दोपहर को ही हमारे घर पर आ गया और में उस समय घर पर बिल्कुल अकेली थी. तो मैंने उसे बताया कि मेरा भाई डॉक्टर के पास गया है और क्या तुम्हे उसने पहले नहीं बताया था कि वो आज घर पर नहीं मिलेगा? तो वो कहने लगा कि नहीं उसने मुझे कुछ भी नहीं बताया और उसके बाद उसने कहा कि क्या वो मेरे भाई की गणित की किताब लेकर जा सकता है? तो मैंने उससे कहा कि तुम इधर ही रुक कर पढ़ाई कर लो और शायद हो सकता है कि मेरा भाई भी एक घंटे में आ जाए.

वह दिन आज भी मुझे याद है. तो वो अंदर आ गया और सोफे पर बैठ गया और उसने मुझसे पीने को पानी माँगा और मैंने उसे किचन से पानी लाकर दिया और में उसे अपने भाई की गणित की किताब लाने के लिए अंदर चली गयी. उसके बाद जब में बाहर आई तो वो मेरी किताब ( जो में उसके आने के पहले पढ़ रही थी और वो सोफे पर ही रखी थी ) पढ़ रहा था. उस किताब में प्यार पर आर्टिकल था और फोटो भी थे. तभी मैंने उससे किताब छीन ली और बहुत डाटा.. लेकिन वो बेशार्मो की तरह हंस रहा था और उसके बाद उसने मुझसे सॉरी कहा और किताब लेकर बैठ गया और हमेशा उसके मुहं पर पूरे टाईम बेशार्मो वाली स्माईल रहती थी. उसके बाद वो मुझे बार बार देखकर हंस रहा था जैसे उसे मेरा सीक्रेट पता चल गया है. तो में वहाँ से उठकर अपने रूम में चली गयी और उसके बाद से अपनी किताब पढ़ने लगी. तभी कुछ देर बाद मुझे ऐसा लगा कि अगर उसने बैठक रूम में से कुछ सामान उठा लिया तो? और इसलिए में उसके बाद से बाहर गयी.. तो वो सोफे पर लेटकर पढ़ रहा था और में उसे देखकर चौंक गयी कि यह लड़का इतना बत्तमीज कैसे हो सकता है? उसके बाद मैंने उसे उठने को नहीं कहा और सीधा सोफे पर उसके पास बैठने चली गयी.. यह सोचकर कि शायद वो मुझे देखकर उठेगा.. लेकिन उसने बस अपना पैर हटाया और मुझे बैठने दिया और उसका पूरा ध्यान अपनी किताब में ही था. तो में भी अपने मोबाईल में व्यस्त हो गयी और ऐसे ही मैसेज टाईप करते करते मैंने उसकी तरफ देखा तो वो मुझे घूर रहा था और वो भी बहुत देर से और उसकी नज़र मेरे चेहरे पर नहीं थी. उसके बाद मैंने उसे ध्यान से देखा तो वो मेरे बूब्स की गली की तरफ देख रहा था और मुझे याद आया कि विश्वेश के आने से पहले मैंने अपनी ब्रा को निकाल दिया था और में आर्टिकल पढ़ते पढ़ते अपनी निप्पल को सहला रही थी और में विश्वेश के अचानक से आने पर अपनी ब्रा को पहनना भूल ही गयी. एक तो में टी-शर्ट भी बहुत टाईट पहनी हुई थी और अब मेरे निप्पल भी बहुत साफ साफ टी-शर्ट में से दिख रहे थे और उसके बाद मैंने किताब से अपनी निप्पल वाला भाग ढक लिया.

उसके बाद मैंने विश्वेश से कुछ भी नहीं कहा.. क्योंकि में उससे कुछ बोल ही नहीं पाई. मेरे भाई का दोस्त अब मेरे बूब्स देख रहा था यह सोचकर मुझे बहुत अजीब लगा.. मेरे लिए मेरा भाई बच्चो जैसा है और मुझे उसके दोस्त भी बच्चे ही लगते थे भले ही वो ज्यादा उम्र का हो. हम दोनों में 4 साल का अंतर है और मैंने कभी भी मुझसे कम उम्र वालों की तरफ उस नज़र से नहीं देखा था. उसके बाद में बहुत शांत हो गयी और मैंने पढ़ते पढ़ते उसके बाद से विश्वेश की तरफ देखा.. वो भी मेरी तरफ देखने लगा और हम दोनों एक दूसरे की आँखो में बिना कुछ कहे घूर रहे थे. वो भी बिना किसी के डर के मेरी आँखों में बिना नज़र हटाए देख रहा था और मेरी धड़कने बहुत तेज़ हो गयी और मुझे यह अहसास जाना पहचाना सा लग रहा था. तो मैंने अपनी नज़रे उसकी तरफ से हटाई और में किताब में देखने लगी. तभी मैंने विश्वेश की तरफ उसके बाद से देखा तो वो मेरे शरीर को पूरी तरह से देख रहा था और उसने अपनी नशीली आँखों से मेरी तरफ देखा. तभी मुझे उसकी पेंट में उसके खड़े लंड का आकार दिखाई दिया और मेरी गरम चूत से खुद ब खुद पानी निकलने लगा और अब मुझे पता चल गया कि मुझे क्या अहसास हो रहा था?

मित्रों, तभी में जल्दी से उठकर अपने रूम की तरफ चली गयी और विश्वेश भी जल्द से उठकर बैठ गया और मुझे अपने रूम में जाते वक़्त बड़े ध्यान से देखने लगा. उसके बाद मैंने रूम में अंदर घुसते वक़्त सोफे पर बैठे हुए उसकी तरफ देखा और हम 5 सेकिण्ड तक एक दूसरे को ऐसे ही घूरते रहे और में अंदर चली गयी और उसके बाद मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया. उसके बाद मैंने अपने कपड़े उतार कर फेंक दिए और अपने आप को सहलाने लगी. मैंने अपनी चूत में ऊँगली डालनी शुरू कर दी.. लेकिन यह बहुत ग़लत था और मुझे उस लड़के की वजह से गर्माहट महसूस हो रही थी.. में पूरी तरह गरम हो चुकी थी. मेरी चूत अब मुझसे एक लंड मांग रही थी और मेरा अपने आप पर कोई वश नहीं था. वो दूसरे रूम में था और में अपने कमरे में नंगी होकर अपनी चूत को सहलाकर ठंडा करने की कोशिश कर रही थी.

मित्रों, मुझे दरवाज़े के नीचे वाले हिस्से से दिखाई दिया कि दरवाज़े के बाहर कोई खड़ा है और में समझ गयी कि यह विश्वेश ही है. तो में ज़मीन पर लेट गयी और खुद को सहलाने लगी और विश्वेश भी ज़मीन पर झुककर दरवाज़े के नीचे के हिस्से से अंदर देख रहा था. में उसके सामने ही उसे अपनी चूत दिखाते हुए नीचे ज़मीन पर लेटी थी. तभी डोर बेल बजी तो में जल्दी से उठी और कपड़े पहनकर बाहर गयी तो मैंने देखा कि हॉल में उसकी किताब सोफे पर पड़ी थी.. लेकिन विश्वेश वहां पर नहीं था. उसके बाद वापस से एक बार और डोर बेल बजी और मैंने दरवाज़ा खोला तो वॉचमेन था और वो लाईट का बिल देने आया था. उसके बाद मैंने उससे बिल लिया और जल्दी से दरवाज़ा बंद कर दिया और विश्वेश को ढूँढने लगी और उसके बाद मुझे हॉल में एक अंडरवियर ज़मीन पर पड़ी हुई मिली और मैंने अंडरवियर उठाई और उसे ढूँढने लगी. मैंने उसे स्नानघर में देखा तो वो वहाँ पर भी नहीं था और उसके बाद में मेरे भाई के बेडरूम में गयी तो वो वहाँ पर चुपचाप खिड़की की तरफ खड़ा था. तभी मैंने उससे पूछा कि यहाँ पर क्या कर रहे हो? तो वो कुछ नहीं बोला और उसके बाद थोड़ी देर मुझे घूरने के बाद बोला कि मुझे बहुत डर लगा कि कोई आ गया है तो में यहाँ पर आकर छुप गया. उसके बाद मैंने उससे पूछा कि क्या यह तेरी अंडरवियर है? तो उसने कहा कि हाँ. उसके बाद मैंने उससे पूछा कि इसे क्यों निकाली थी? तो उसने उसके बाद से नशीली आँखों से घूरते हुए कहा कि ऐसे ही. उसके गद्देदार चूतर अलग से दिखाई देते है.

तो मैंने उससे पूछा कि सीधे सीधे बता क्यों निकाली थी? लेकिन वो कुछ नहीं बोला. तो मैंने कहा कि तू जब तक नहीं बताएगा.. में तब तक तुझे तेरी अंडरवियर नहीं दूँगी. उसके बाद मैंने उसकी अंडरवियर ली और हॉल में चली गयी और सोफे पर जाकर बैठ गयी. तो मुझे पता चल गया कि वो शायद पहले नंगा हुआ होगा और बेल बजने पर जल्दी जल्दी में कपड़े लेकर रूम में भाग गया होगा.. लेकिन में जानना चाहती थी कि वो नंगा हो कर क्या करने वाला था? और वो बहुत देर तक उस रूम से बाहर नहीं निकला. तो में उसके बाद से अपने भाई के रूम में देखने गयी तो वो बेड पर नंगा बैठकर अपना लंड हिला रहा था. तभी उसने मुझे देखा तो उसकी आँखों में बिल्कुल भी डर नहीं था.. किसी और के घर में अपने फ्रेंड की बड़ी बहन के सामने नंगा होकर लंड हिलाने की बात पर उसे कोई भी डर या शरम नहीं थी.. बल्कि वो मुझे अपनी नशीली आँखों से घूर घूरकर देखता रहा. उसका लंड बहुत बड़ा था.. करीब 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा और वो एकदम तनकर खड़ा था.. शायद वो मेरी चूत को सलामी दे रहा था.

मुझे अपने से छोटी उम्र के लड़के के खड़े लंड को देखकर अलग सा अहसास हुआ और में इतना खूबसूरत लंड देखकर चौंक गयी थी.. लेकिन उम्र में बड़ी होने की वजह से कुछ भी नहीं बोली. में उसे डांटने का नाटक तक करना चाहती थी.. लेकिन कुछ बोल ना सकी और में चुपचाप हॉल में चली गयी और किताब पढ़ने का नाटक करने लगी. उसके बाद मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि में क्या करूं? और अब मेरी चूत गीली हो चुकी थी और में अभी भी यही सोच रही थी कि क्या यह सब ग़लत तो नहीं हो रहा? और वो लड़का मुझसे छोटा है. तभी विश्वेश वैसे ही नंगा मेरी तरफ हॉल में आया और मेरे सामने आकर खड़ा हो गया और अपने लंड को जोर जोर से हिलाने लगा. तो में उसे वहाँ से भगाना चाहती थी या भगाने का नाटक करना चाहती थी.. लेकिन वो भी मुझसे नहीं होने वाला था. उसके बाद मेरी चूत भी लंड की प्यासी हो गयी थी और मेरा मुहं भी लंड के लिए सूख गया था और लंड लिए मेरे पूरे बदन में बिजली दौड़ रही थी.. में उसके बाद भी किताब में ही देखती रही.

तभी विश्वेश ने मेरे हाथ से किताब छीनकर फेंक दी और मेरी तरफ देखने लगा. उसके बाद मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने मुझे किस का इशारा किया और जोर से अपना लंड हिलाता रहा और में उसके लंड को 1 मिनट तक देखती रही और निहारती रही.. मुझे अब उसके लंड पर टूट पढ़ना था.. लेकिन वो मेरे भाई का फ्रेंड था और वो मेरे भाई को ब्लॅकमेल भी कर सकता था और मुझे भी ब्लॅकमेल कर सकता था.. इसलिए में अभी भी कुछ नहीं कर रही थी.. लेकिन मेरा पूरा शरीर कुछ और ही बोल रहा था और मन कुछ और.. तो मैंने धीमी आवाज़ में कहा कि अब बंद भी कर यार. तो उसने मुझसे कहा कि लो ना.. में चुप बैठी रही और वो मेरे मुहं की तरफ लंड को करीब लाया और मुझे उसके लंड की खुश्बू आने लगी.. में झुकी हुई थी और माथे पर हाथ था और उसका लंड मेरे होंठो से सिर्फ़ थोड़ी ही दूरी पर था और अगर वो हल्का सा भी आगे आता तो मेरे होंठो को उसका लंड छू जाता. मैंने वापस लंड की तरफ देखा और उसकी तरफ देखा.. तो वो मेरे पास में आकर सोफे पर लेटकर लंड को हिलाने लगा. हम एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे और वो ज़ोर ज़ोर से लंड को हिलाने लगा. उसके बाद आखिरकार उसका वीर्य गिर ही गया और उसका बहुत सारा वीर्य निकला और में उसके लंड की तरफ ही देखती जा रही थी. वो दो मिनट ऐसा ही पड़ा रहा और उसके बाद स्नानघर में जाकर लंड धोकर बाहर आया और वो मेरे पास में आकर नंगा थककर बैठा हुआ था. मैंने उससे पूछा कि यह क्या था? तो उसने कहा कि तुझे देखकर जोश चड़ गया था. वो मेरे सामने अपने बड़े लंड को लेकर हिला रहा था.. उसके बाद वीर्य को गिराया और अब मेरे पास में बिना किसी शर्म के नंगा बैठकर मुझसे बातें कर रहा है.

तो हम कुछ देर तक ऐसे ही शांत बैठे रहे. तभी उसने सोफे पर लेटते हुए मेरी गोदी में सर रखा.. लेकिन में चुप रही और उसने उसके बाद अपनी उंगली से मेरे निप्पल को छुना शुरू किया और मुझे उसका ऐसा करना बहुत अच्छा लग रहा था.. में बस चुप रही. उसके बाद वो ऐसा कुछ देर तक करता रहा और जब में कुछ नहीं बोली तो उसने धीरे धीरे मेरे बूब्स को दबाना शुरू किया. अब जब में बिल्कुल शांत रही तो उसने सीधा टीशर्ट के ऊपर से ही निप्पल को काटना शुरू किया और वो टी-शर्ट के ऊपर से ही निप्पल को दांत से खींच रहा था.. लेकिन मेरा शरीर शांत था. में कुछ नहीं सोच रही थी.. बस जो होगा वो होने दे रही थी. उसके बाद उसने नीचे से मेरी टी-शर्ट को थोड़ा ऊपर किया और मेरे नंगे बूब्स को चूमने लगा, काटने लगा और सहलाने लगा. उसके बाद उसने मुझसे टी-शर्ट को उतरवाया और मेरी गोद में ही सर रखकर वो यह सब कर रहा था.. मेरी नाभि को भी चाट रहा था. जब उसने मेरी नाभि में जीभ डाली तब मेरे मुहं से सिसकियाँ निकली.

उसके बाद वो उठ गया और मेरी चूत को मेरी चड्ढी के ऊपर से ही चाटने लगा.. उसने मेरी चड्ढी उतरवाई और चूत चाटने लगा. उसके बाद वो चूत चाटते चाटते एकदम रुककर मेरी चूत को बहुत देर तक देखता रहता.. जैसे कि उसने पहली बार चूत को देखा हो. उसके बाद में भी उसका साथ देने लगी और उसने जब मेरी चूत में जीभ डाली तो मैंने अपने पैर उसके सर के आस पास लपेट लिए और ज़ोर ज़ोर से आह्ह्ह्ह उफ्फ्फ माँ करने लगी. उसके बाद उसने मुझे लेटा लिया और खुद भी मुझ पर लेट गया और किस करने लगा.. उसके बाद वो अपने घुटनो पर खड़ा हुआ और मुझे बैठा दिया. हम दोनों एक दूसरी की आँखों में देख रहे थे और वो अपना लंड मेरे होंठो पर छूने लगा और रगड़ने लगा.

उसके बाद मैंने मुहं खोला और उसका लंड पूरी तरह से अंदर लिया और बहुत देर तक चूसा.. चूसते वक़्त वो बहुत सेक्सी आहें भरने लगा और मुझे उसकी आहें सुनने में बहुत मज़ा आ रहा था.. वो आहह आहह करते हुए मेरे मुहं की चुदाई करने लगा. तभी अचानक से मेरे मुहं से लंड बाहर निकालकर मुझे किस करने लगा और लेटकर मेरे पैर फैलाकर अपना लंड मेरी बुर में डालने लगा.. लेकिन उसे डालते वक़्त थोड़ा दर्द होने लगा. तो मैंने उससे कहा कि लंड पर थोड़ा थूक लगा लो.. उसके बाद उसने वही किया और मेरे पैरों के बीच में लेटकर मुझे चोदने लगा. वो चुदाई करते करते मुझे किस करता रहा. उसके बाद 5 मिनट के बाद ही उसने वीर्य मेरी चूत के अंदर ही गिरा दिया और मुझ पर वो वैसे ही पड़ा रहा.. लेकिन मेरी चुदाई अभी पूरी नहीं हुई थी. उसके बाद उसने मुझे कुछ देर तक किस किया और बैठ गया.. में लेटी रही और उसे देखती रही. वो वापस मेरी तरफ आया और मेरे निप्पल को चूसने लगा और 5 मिनट तक बूब्स के साथ खेलता रहा.. हम उठे और एक दूसरे से लिपटकर बैठे रहे. उसके बाद मैंने उससे पूछा कि यह सब कैसे सीखा? तो उसने बताया कि उसकी कोचिंग टीचर के साथ भी उसने एक बार सेक्स किया है. उसकी कोचिंग टीचर दो बच्चों की माँ है और वो 40 से भी ज़्यादा उम्र वाली है.

उसके बाद मैंने उससे कहा कि क्या ऐसे किसी के सामने सीधे नंगे होते वक़्त तुम्हे डर नहीं लगता? तो उसने कहा कि उसे उस वक्त सेक्स का जोश बहुत चड़ गया था. उसके बाद उस दिन के बाद हमने करीब 10 बार सेक्स किया है.. वो अब चुदाई में और भी बेहतर होता जा रहा था.. वो करीब 11-12 मिनट तक 3 बार चोदता है और उसको हमेशा अलग अलग स्टाईल में वीर्य गिराने में बहुत मज़ा आता है. में कभी उसे खुद नहीं बुलाती.. वो खुद सीधा घर पर किसी ना किसी बहाने से पहुंच जाता है और घर खाली होता तो घर पर सेक्स करते है या छत पर, सीढ़ियों पर, स्कूल के पेपर के दिनों में भी उसने मुझे बहुत बार चोदा है. एक बार उसने जोश में आकर 7 इंच लंड भोसड़ी के बजाय गांड में धंसा दिया.

 

What did you think of this story??






अन्तर्वासना इमेल क्लब के सदस्य बनें


हर सप्ताह अपने मेल बॉक्स में मुफ्त में कहानी प्राप्त करें! निम्न बॉक्स में अपना इमेल आईडी लिखें, फिर ‘सदस्य बनें’ बटन पर क्लिक करें !


* आपके द्वारा दी गयी जानकारी गोपनीय रहेगी, किसी से कभी साझा नहीं की जायेगी।