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नौकरानी के साथ उसकी माँ और भाभी को चोदा

Posted on:- 2024-12-09


हैल्लो दोस्तों,  आज में अपनी एक नई कहानी सुनाने दोबारा आया हूँ. मेरा नाम अजय है और में दिल्ली में रहता हूँ. दोस्तों जब से मेरा लंड खड़ा होना शुरू हुआ है, तब से में औरतों की चुदाई कर रहा हूँ और मैंने आज तक बहुत तरह की चूत मारी है और में पिछले कुछ सालों से सेक्सी कहानियाँ पढ़ता आ रहा हूँ, जो मुझे बहुत अच्छी लगती है.

दोस्तों में आज आपके चाहने वालों को अपनी नौकरानी के साथ उसकी चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूँ, जिसका नाम पूर्णिमा था. दोस्तों उसका शरीर बहुत भरा हुआ और उसका रंग सावला है, लेकिन उसके बूब्स बहुत बड़े आकार के है. जब वो पहली बार मेरे घर आई तो वो मुझे बहुत अच्छी लगी, क्योंकि मुझे शुरू से ही सावली रंग की लड़कियाँ बड़ी अच्छी लगती है, उसको पहली नज़र में देखते ही मैंने सोच लिया था कि कभी ना कभी में इसकी चुदाई जरुर करूंगा, इसलिए में उस पर अपना जाल डालने लगा, जिसकी वजह से कुछ दिनों में ही वो मुझसे बहुत खुलकर हंसी मजाक करने लगी थी और बड़ी हंस हंसकर बातें किया करती थी.

वो हर रोज सुबह सबसे पहले मेरे कमरे में आकर मुझे नींद से जगाती और तभी मेरा दिल करता था कि में उसी समय उसको पकड़ लूँ और इसके मुहं में अपना लंड डाल दूँ, लेकिन घर में सब लोगों के होने की वजह से में कुछ नहीं कर पाता था और वैसे में उसकी हरकतों से समझ चुका था कि उसके मन में भी ऐसा ही कुछ चल रहा था, लेकिन वो कहने में बहुत देर लगा रही थी.

एक दिन जब में और पूर्णिमा घर पर अकेले थे, तब मुझे लगा कि आज वो पूरे जोश में थी और में भी उसको घर में अकेला देखकर अपने होश खो बैठा. उस दिन पूर्णिमा ज्यादा गरमी होने की वजह से अपना सभी काम खत्म करके नहाने के लिए बाथरूम में चली गई. फिर मैंने सही मौका देखकर दरवाजे के एक छेद से उसको नहाते हुए देखना शुरू किया, पहले उसने अपने कपड़े खोले, वो कभी भी ब्रा नहीं पहनती थी, जिसकी वजह से उसके बड़े आकार के काले बूब्स को देखकर मेरा पप्पू तनकर पहले से ज्यादा खड़ा हो गया.

अब पूर्णिमा ने अपने पूरे कपड़े खोल दिए और तब उसका भरा हुआ बदन देखने लायक था. सावला रंग और बहुत अच्छा बदन था और उसकी चूत भी बहुत सुंदर थी, जिस पर छोटे छोटे बाल थे और उसकी गांड भी बहुत बड़ी थी, लेकिन पूर्णिमा को यह पता नहीं था कि में उसको देख रहा हूँ और फिर नहाते नहाते कुछ देर बाद पूर्णिमा अपनी चूत में उंगली करने लगी और वो लगातार ऊँगली करने लगी. फिर यह सब देखकर मुझे बड़ा मज़ा आने लगा और यह सब काम देखकर में समझ गया कि यह साली भी चुदाई की प्यासी है, इसकी चूत को भी किसी लंड का इंतजार है, जो उसकी खुजली को खत्म करे और करीब 15 मिनट तक अपनी उंगली को अंदर-बाहर करने के बाद वो शांत हो गयी और अब वो झड़ चुकी थी, लेकिन वो अपने इस काम से मुझे संतुष्ट नहीं लग रही थी.

फिर में चुपचाप अपनी अंडरवियर में अपना लंड खड़ा करके अपने कमरे में जाकर बेड पर लेट गया और आखें बंद करके उसकी चूत के बारे में सोचने लगा, जिसकी वजह से मेरा लंड अंदर ही हल्के हल्के झटके देने लगा.

फिर नहाने के बाद जब वो मेरे कमरे में आई तो उसकी नज़र सीधी मेरे खड़े लंड पर गयी, जिसको देखकर उसका दिल तो कर रहा था, लेकिन वो बहुत देर तक वहीं पर खड़ी होकर मेरे लंड को देखती रही. उसके बाद वो मुझसे पूछने लगी कि भैया क्या में आपको दूध दे दूँ? तो मैंने उससे बोला कि हाँ दे दो और वैसे भी आज मुझे दूध की बहुत ज़रूरत है, वो पूछने लगी कि साथ में क्या लोगे? तो में बोला कि तुझको, मेरे मुहं से यह बात सुनकर वो शरमा गई.

तब मैंने झटके से उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ उसको खींचकर उससे बोला कि क्या तू आज मेरे साथ में मज़ा करेगी? वो बोली कि हाँ आप जो भी कहेंगे में वो ही करूंगी और तब मैंने उसको कहा कि चल आज हम एक दूसरे को अपने अपने मन की बात बताते है, जो भी तेरी इच्छा है और वो तू मुझे बता आज में तेरी सभी इच्छा पूरी करूंगा और मेरे मुहं से यह बात सुनकर पूर्णिमा का चेहरा ख़ुशी से खिल गया. अब वो बोली कि भैया में एक औरत बनना चाहती हूँ, आज आप मुझे एक औरत बना दो, मुझे ऐसा अच्छा मौका दोबारा पता नहीं कब मिलेगा?

तो मैंने उससे पूछा कि तुमने पहले भी कभी किसी से अपनी चूत मरवाई है? वो बोली कि नहीं चूत तो मैंने कभी नहीं मरवाई, लेकिन मैंने अपनी गांड बहुत बार मरवाई है, मुझे उसका बहुत अच्छा अनुभव है. अब मैंने उससे पूछा कि तुमने अपनी गांड किससे मरवाई? फिर वो बोली कि मेरे भाई से, वो साला बड़ा गांडू है, उसने ही पहली बार मेरी गांड मारी थी और वैसे उसके सारे दोस्त भी गांडू है, क्योंकि उन सभी ने भी हमेशा मेरी गांड मारी और उनमें से किसी ने भी एक बार मेरी चूत नहीं मारी.

फिर मैंने उससे बोला कि हाँ तभी तेरी गांड बड़ी बड़ी सी लग रही है. उसके बाद मैंने उसको बोला कि चल पूर्णिमा आज में भी सबसे पहले तेरी चूत की खुलजी को मिटा देता हूँ, तेरी इस इच्छा को आज में पूरा कर देता हूँ, चल अब तू अपने सारे कपड़े खोलकर मेरे सामने आ जा.

अब मेरे मुहं से यह शब्द सुनकर पूर्णिमा ने बहुत खुश होकर अपने सारे कपड़े खोल दिए और वो बिल्कुल नंगी होकर मेरे सामने आकर खड़ी हो गयी और तब मैंने उससे पूछा कि अब तू मुझे बता कि में कहाँ से शुरू करूं? पूर्णिमा बोली कि आप प्लीज़ मेरी चूत से शुरू कीजिए, वहाँ पर आज बहुत आग लगी है. फिर मैंने उसको शांत करने की अपनी तरफ से कई बार कोशिश की, लेकिन वो अब भी प्यासी ही है. अब यह बात सुनकर मैंने उसकी चूत को अपनी तरफ किया और तब मैंने देखा कि उसके चूत बहुत सुंदर थी और उसके चारो तरफ़ काले काले बाल थे.

मैंने उसकी चूत को जब पहली बार छुआ तो पूर्णिमा के मुहं से सिसकियाँ निकल पड़ी और मैंने अपने लंड को उसकी चूत के मुहं पर रगड़ना शुरू कर दिया, वो अभी तक वर्जिन थी और आज मुझे उसकी सील को तोड़ना था.

फिर बहुत देर तक अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने के बाद मैंने उसकी चूत में अपना लंड डाला दिया और पूर्णिमा मेरा पूरा साथ दे रही थी, क्योंकि उसको अपनी गांड में लंड लेने का बहुत अनुभव हो चुका था, जब मेरा लंड उसकी चूत में पूरा चला गया, तो उसके मुहं से एक जोरदार चीख निकल पड़ी. फिर मैंने उससे पूछा कि क्या हुआ? वो बोली कि कुछ नहीं यह ख़ुशी की चीख थी, प्लीज आप अपने इस लंड से आज मेरी चूत को फाड़ दो, आज आप इसका भोसड़ा बना दो और इसको शांत कर दो.

तब मैंने उसकी बातें सुनकर खुश होकर चूत में लगातार अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. तब मैंने महसूस किया कि वर्जिन होने की वजह से उसकी चूत बहुत टाईट थी, इसलिए मुझे अपने लंड को अंदर बाहर करने में बहुत मज़ा आ रहा था, में जोश में था और कुछ देर बाद पूर्णिमा की चूत से खून भी निकलने लगा और करीब दस मिनट के बाद पूर्णिमा पूरे जोश में आ गई और वो बार बार मुझसे कह रही थी कि भैया आपका लंड बहुत दमदार है, मुझे बहुत मज़ा आ रहा है और मेरा दिल करता है कि में यह लंड मेरी चूत में सारी ज़िंदगी ऐसे ही अंदर लेकर रखूं, इससे अपनी चुदाई ऐसे ही करवाती रहूँ और आप ऐसे ही ज़ोर धक्के मारते रहे.

फिर मैंने कहा कोई बात नहीं पूर्णिमा डार्लिंग जब भी तुझे यह मेरा लंड लेना हो, तू आकर मुझसे अपनी चूत को मरवा लेना. फिर पूर्णिमा बोली कि भैया आप मेरी चूत को आज सारे दिन चोदना, क्योंकि पूरे दिन आज हम घर में अकेले ही है और मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, आप अगर ज़ोर से मुझे चोदोगे तो मुझे और भी अच्छा लगेगा.

अब उसकी यह बात सुनकर मैंने अपनी स्पीड को बढ़ा दिया और उस बीच पूर्णिमा दो बार झड़ चुकी थी, लेकिन अभी भी वो अपनी चूत को मरवाना चाहती थी और वो मुझे बार बार तेज़ी के साथ अपनी चूत में मेरा लंड डालने को कह रही थी, मुझे भी उसकी टाईट चूत में अपने लंड को धक्के मारने में बहुत मज़ा आ रहा था, लेकिन अब मेरे झड़ने का समय था और जैसे ही मेरा पानी निकला तो उसकी चूत में मेरे वीर्य से भरी तब पूर्णिमा कहने लगी, यह आपने क्या कर दिया? मैंने पूछा क्यों मैंने क्या किया? वो कहने लगी कि आपने मेरी चूत में वीर्य को छोड़ दिया. तब वो बोली कि भैया यह पानी चूत के लिए नहीं था, यह तो आपको मेरे मुहं में डालना था और वो बोली कि उसका भाई और उसके सारे दोस्त मेरी गांड मारने के बाद अपना पानी मेरे मुहं में डालते है और मुझे मुहं में यह पानी पीना बहुत अच्छा लगता है.

फिर में बोला कि कोई बात नहीं मेरी डार्लिंग, अगली बार में तेरा मुहं अपने वीर्य से जरुर भर दूंगा. अब तू बता तेरी चूत की खुजली कुछ कम हुई या नहीं?

तब पूर्णिमा ने एक उंगली अपनी चूत में डालकर कहा कि हाँ अभी भी हो रहा है. फिर मैंने उससे कहा कि चल तू बस पांच मिनट रुक जा, अभी अभी मेरा लंड झड़ा है और कुछ देर के बाद में तेरी दोबारा चुदाई करूंगा.

अब पूर्णिमा बोली कि ठीक है, तब तक में आपका लंड चूस लेती हूँ. फिर मैंने बोला अच्छी बात है हाँ चूस ले और तब पूर्णिमा ने मेरे लंड को बड़े प्यार के साथ चूसना शुरू कर दिया और वो अपनी जीभ से मेरे लंड को चाट रही थी. उसकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर चारो तरफ घूम रही थी और वो मेरे लंड के छेद में भी अपनी जीभ को डालने की कोशिश कर रही थी, जिसकी वजह से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. फिर मैंने उससे कहा कि पूर्णिमा तुम तो बहुत ही प्यासी लगती हो?

वो बोली कि हाँ भैया मुझे शुरू से ही लंड बहुत अच्छे लगते है. तभी तो मैंने अपने गांडू भाई और उसके दोस्तों से कुछ नहीं कहा और उन्होंने इस बात का फायदा उठाकर बहुत बार मेरी गांड मारी. फिर मैंने उससे पूछा क्या तुम्हें गांड मरवाने में मज़ा आता है?

तब वो बोली कि पहले पहले तो नहीं आता था, लेकिन अब मुझे बहुत मज़ा आता है. अब मैंने उससे पूछा क्या में भी आज तेरी गांड मारूं? तब पूर्णिमा बोली कि हाँ भैया जी आप कुछ भी कर सकते है. अब में उसकी गांड मारने की सोच रहा था और वो मेरे लंड को चूस चूसकर खड़ा कर रही थी. फिर उसी समय वो बोली कि आप मेरी गांड मारने के बाद एक बार फिर से मेरी चूत जरुर मारना.

फिर मैंने कहा कि मेरी प्यारी, रंडी, नौकरानी आज में तुझे अपनी चुदाई से बहुत खुश कर दूंगा और गांड मारने के बाद में तेरी चूत भी मारूंगा और यह बात सुनकर पूर्णिमा खुश हो गई और उसने तुरंत मेरा लंड चूसना छोड़ दिया और कहा कि गांड मरवाने का एक अलग तरीका होता है, इतना कहकर वो घोड़ी बन गई और मुझसे कहने लगी कि भैया आप पहले मेरी गांड के छेद में अपनी उंगली डालिए और अपने लंड के लिए उसमें रास्ता बना दो और वो कहने लगी कि भैया आप इसमें अपना थूक भी लगा सकते है.

फिर पूर्णिमा की काली गांड देखकर मेरा लंड तनकर खड़ा हो चुका था, पहले मैंने अपनी एक उंगली को उसकी गांड के छेद में डाल दिया और अंदर बाहर करने लगा, लेकिन मेरा दिल उसको चोदने और चाटने को कर रहा था. फिर मैंने बहुत देर तक अपनी उंगली को अंदर बाहर किया, जिसकी वजह से उसकी गांड खुल गई थी.

फिर मैंने अपनी जीभ से उसके छेद को चोदना शुरू किया और उस समय पूर्णिमा घोड़ी बनी हुई थी और अब वो मुझसे बोली कि भैया जी आपकी जीभ से मुझे बहुत मज़ा आ रहा है और आप अपनी जीभ को मेरी चूत में अंदर भी डालोगे ना? वहां पर और भी ज्यादा मज़ा आएगा. फिर मैंने उससे कहा कि हाँ ठीक है, में तेरी चूत में भी डाल दूंगा, पहले तेरी गांड के छेद को तो मुझे चाटने दे और मैंने बहुत देर तक अपनी जीभ से उसकी गांड के छेद को चोदा, लेकिन अब मेरा लंड बेकाबू हो रहा था. फिर मैंने लंड उसकी गांड में डाल दिया.

दोस्तों पूर्णिमा को गांड मरवाने का पहले से ही बहुत अच्छा अनुभव था, इसलिए मुझे कोई भी परेशानी नहीं हुई और मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी गांड के छेद के अंदर जा रहा था. दोस्तों यह सच बात है कि गांड में चूत से ज्यादा मज़ा होता है और अब मेरा मन कर रहा था कि में पूर्णिमा की गांड मारता ही रहूँ, लेकिन दस मिनट के बाद मुझे लगा कि मेरा लंड अब झड़ने वाला है और उस समय पूर्णिमा ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थी और वो बहुत खुश थी. फिर मैंने पूर्णिमा से कहा कि मेरा वीर्य अब निकलने वाला है. तब पूर्णिमा ने बोला कि प्लीज भैया आप इसको रोक लो, अभी मुझे अपनी गांड और मरवानी है. फिर मैंने उससे कहा कि पूर्णिमा डार्लिंग यह अब रुकने वाला नहीं है, पूर्णिमा ने मेरे आंड पकड़ लिए और वो उनको धीरे धीरे दबाने लगी, लेकिन अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था और उसकी गांड की खुशबू मेरे सर पर चड़ रही थी. फिर मैंने उससे पूछा क्या में अपना पानी अंदर ही छोड़ दूँ? वो बोली कि नहीं भैया आप यह पानी मेरे मुहं में डालना. मैंने अपना लंड उसकी गांड से बाहर निकाला और पूर्णिमा ने अपना मुहं खोल लिया, जिसकी वजह से मेरे वीर्य की एक धारा उसके मुहं में चली गई और पूर्णिमा ने मेरे लंड को अपने मुहं में ले लिया.

दोस्तों औरत के मुहं में अपना वीर्य निकालने का मज़ा ही कुछ और आता है, जब मेरा वीर्य निकल रहा था और तब पूर्णिमा उसको चूसने लगी, ताकि ज्यादा से ज्यादा वीर्य निकले और उसने थोड़ा वीर्य अपने बूब्स पर भी लगा लिया और वो अपने बूब्स पर उसको अच्छी तरह से मसलने लगी, जब मेरे लंड से वीर्य निकलना बंद हो गया तो वो मुझसे कहने लगी कि भैया जी औरत के लिए यह पानी बहुत अच्छा होता है.

फिर में बेड पर लेट गया और पूर्णिमा अपनी चूत में उंगली करते हुए मुझसे पूछने लगी, क्या भैया आप मेरी चूत को चाटोगे? प्लीज़ आप मेरी चूत को चूसो आपको बड़ा मज़ा आएगा. फिर मैंने उससे कहा कि चल ला अपनी चूत को मेरे मुहं के पास रख, तब पूर्णिमा मेरे ऊपर चड़कर बैठ गई और उसने अपनी चूत को मेरे मुहं के ऊपर रख दिया और में नीचे लेटे हुए उसकी चूत को चाटने लगा और जैसे ही मेरी जीभ उसकी चूत में लगी तो पूर्णिमा ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी और वो मुझसे बोली कि आप मेरी चूत के ऊपर बने छोटे से दाने को अपने मुहं में ले लो और उसको अपनी जीभ से सहलाओ.

दोस्तों में उसका मतलब समझ गया और वो अपनी चूत का दाने के बारे में मुझसे बोल रही थी, उसका इशारा समझकर में उससे मज़ाक़ करने लगा और में पूछने लगा क्या औरत का लंड? पूर्णिमा बोली कि हाँ भैया जी उसको औरत का लंड ही कहते है, यह बिल्कुल चूत के ऊपर उठा हुआ होता है और तब मैंने उसकी चूत के दाने को अपनी जीभ से हिलाना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से पूर्णिमा कांपने लगी और उसकी चूत से गुलाबजल निकलने लगा और वो झड़ रही थी.

फिर वो मुझसे बोली कि आप मेरा यह रस पी लो, यह मर्दो के लिए बहुत अच्छा होता है. फिर में चूसने लगा और कुछ देर बाद मुझे उसकी चूत से निकलता हुआ वो रस अच्छा लगने लगा और मैंने उसको बहुत मज़े से चूसा और बहुत देर तक पूर्णिमा की चूत को चाटने के बाद जब में उठा और तब पूर्णिमा मुझसे बोली कि भैया जी अभी मेरी चूत की खुजली नहीं मिटी है.

फिर मैंने उसको कहा कि पूर्णिमा डार्लिंग अगर तू अपनी चूत को मुझसे हर दिन मरवाना चाहती हो तो तुम्हें मेरे लिए और भी औरतों को लाना पड़ेगा और में तुम्हारे साथ साथ उसको भी चुदाई के मज़े दूंगा. फिर पूर्णिमा मुझसे बोली भैया अगर आप कहें तो क्या में अपनी माँ को अपने साथ यहाँ पर ले आऊँ? मैंने उससे कहा कि तेरी माँ तो बूढी हो गई होगी, उसके साथ वो मज़ा कहाँ मिलेगा, जो एक जवान चूत से मिलता है? वो बोली कि नहीं भैया वो तो आज भी किसी से काम नहीं है. आप एक बार उसकी चूत मारोगे तो हर रोज़ आप उसको जरुर अपने पास बुलवाओगे.

फिर मैंने उससे कहा कि ठीक है, अगर तू अपनी माँ की इतनी तारीफ करती है तो आज घर पर कोई भी नहीं है, इसलिए तू अभी अपने घर चली जा और अपनी माँ को अपने साथ में लेकर आजा. फिर पूर्णिमा ने कपड़े पहन लिए और तभी वो बोली कि मेरे घर में मेरी एक भाभी भी है, उसको भी लंड लेने का बहुत शौक है, में उनका क्या करूं?

तब मैंने उससे कहा कि क्या वो मुझसे भी अपनी चुदाई करवाएगी? तब पूर्णिमा बोली कि हाँ मेरा भाई तो गांडू है, उसको चूत में मज़ा नहीं आता, इसलिए मेरी भाभी आपसे चुदाई करवा सकती है, क्योंकि उसकी चूत लंड लेने के लिए हमेशा तैयार रहती है. अब मैंने खुश होकर उससे कहा कि ठीक है तू उन दोनों को अपने साथ में लेकर जल्दी से आजा और पूर्णिमा उनको लेने चली गई. फिर मैंने उसके चले जाने के बाद नाश्ता किया और करीब 15 मिनट के बाद पूर्णिमा अपनी माँ और अपनी भाभी को लेकर आ गई.

फिर उन तीनों को देखकर में बहुत खुश हुआ, क्योंकि उसकी माँ और उसकी भाभी सुंदर होने के साथ साथ बहुत सेक्सी मस्त माल लग रही थी. उनका गोरा रंग, कपड़ो से बाहर झांकते हुए बूब्स को देखकर में चकित बहुत आकर्षित हुआ और फिर मैंने उनसे पूछा क्या वो मेरे साथ सेक्स करना पसंद करेगी? तो वो दोनों मेरे मुहं से यह बात सुनकर शरमाने लगी.

अब पूर्णिमा बोली कि मैंने इस दोनों को आते समय रास्ते में सब कुछ बता दिया है और इसलिए यह लोग भी आपसे अपनी अपनी चूत मरवाने के लिए तैयार है, पूर्णिमा का जवाब सुनकर मैंने उससे कहा कि चलो आज में तुम तीनों को चोदूंगा और तुम्हें चुदाई के पूरे मज़े दूंगा. अब मैंने पूर्णिमा की माँ से कहा कि चल अपने कपड़े उतार और फिर पूर्णिमा की माँ ने तुरंत अपने सारे कपड़े उतार दिए, वो उम्र में 40 साल के करीब थी और उसकी भाभी की उम्र 25 साल की होगी और पूर्णिमा की माँ मेरे लंड को घूर घूरकर देख रही थी.

अब में उससे बोला कि आप इसको देखने के अलावा चूस भी सकती है. तभी पूर्णिमा की माँ ने जल्दी से मेरे लंड को पकड़ लिया और वो उसको बड़े प्यार से हिलाने लगी, में उस समय कुर्सी पर बैठा हुआ था और पूर्णिमा की माँ नीचे बैठकर मेरा लंड चाट रही थी. फिर मैंने उसकी भाभी से कहा कि वो अपने बूब्स को मेरे मुहं के पास लेकर आए और उसकी भाभी ने जल्दी से अपना ब्लाउज खोल दिया और अपने बूब्स को वो मेरे मुहं के पास लेकर आ गई और में उसके बूब्स को दबाने लगा और साथ में उनको चूस भी रहा था. पूर्णिमा की माँ अब भी मेरे लंड को चाट रही थी और उसकी भाभी खड़े खड़े अपनी चूत में उंगली कर रही थी. फिर मैंने पूर्णिमा से बोला कि चल तू अपनी भाभी की मदद कर और उसकी चूत में ऊँगली करके इसको कुछ शांति दे.

फिर पूर्णिमा अपनी नंगी भाभी की चूत में अपनी उंगली को डालकर अंदर बाहर करने लगी और तभी उसकी भाभी मुझसे बोली कि भैया मुझे अपनी चूत में पूर्णिमा की उंगली नहीं आपका लंड चाहिए, प्लीज अब तो आप कुछ करो मुझे अब ज्यादा देर नहीं रुका जाता.

तब में बोला कि तुम उसकी बिल्कुल भी चिंता मत करो और तुम्हें कुछ देर बाद वो भी जरुर मिल जाएगा. फिर मैंने पूर्णिमा की माँ से बोला कि अब मुझे तेरी बहु को चोदना है. फिर वो बोली कि बेटा पहले तुम मुझ पर तरस खाओ, पहले तुम मुझको चोद लो, में इससे ज्यादा भूखी हूँ, यह तो फिर भी हर कभी अपनी गांड में लंड लेती रहती है, लेकिन मुझे तो लंड बहुत मुश्किल से देखने को मिलता है, लेना तो बहुत दूर की बात है. फिर मैंने उससे कहा कि चलो में आपकी बात रख लेता हूँ, में पहले तेरी चुदाई कर लेता हूँ और अब पूर्णिमा की भाभी उसकी माँ को गुस्से से देखने लगी.

फिर मैंने उसको बोला कि कोई बात नहीं डार्लिंग मेरे लंड में बहुत ताक़त है, वो आज तुझे भी जरुर मिलेगा. अब वो बोलने लगी कि यह बुढ़िया बहुत बड़ी कमीनी है, यह घर पर मुझसे बोल रही थी कि में नहीं मरवाउंगी, में तो बस लंड को छूकर अपने मुहं में लेकर उसके मज़े लूंगी, लेकिन अब इसको देखो यह लंड को देखकर ललचाने लगी है और यह कैसी बीच बीच में उचक रही है? तो माँ बोली कि बहु इतना सुंदर, मोटा, लंबा लंड देखकर मैंने अपना इरादा बदल लिया है और में क्या दुनिया की कोई भी चूत इस लंड को देखकर इससे अपनी चुदाई एक बार जरुर करवाना चाहेगी और इस लंड को देखकर उसकी भी नियत खराब हो जाएगी.

दोस्तों अब में उसकी चूत में अपना लंड डालकर धक्के मारने लगा और पूर्णिमा की माँ ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी, आह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ स्स्सीईईईईइ वाह मुझे बहुत मज़ा आ रहा है, बेटा तू आज ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर मेरी चूत को मार मुझे तेरा लंड बहुत अच्छा लगा और फिर कुछ देर धक्के देने के बाद मैंने अपना लंड चूत से बाहर किया और उससे कहा कि चल अब तू घूम जा, में तेरी गांड के मज़े भी ले लेता हूँ.

फिर पूर्णिमा की माँ मेरे कहते ही तुरंत घूम गई और मैंने उसकी गांड में अपना लंड डालकर उसके भी मज़े लिए और इधर पूर्णिमा और उसकी भाभी अपनी बारी का इंतजार कर रही थी और उसके साथ में वो दोनों अपनी अपनी चूत में उँगलियाँ भी कर रही थी और पूर्णिमा की माँ को करीब 15 मिनट तक चोदकर में उससे बोला कि चल अब तू हट जा और अब तेरी बहु की बारी है.

फिर पूर्णिमा की भाभी मेरे मुहं से यह बात सुनकर जल्दी से मेरे पास आ गई और उसने मेरे होंठो को चूमना शुरू किया और वो मुझसे कहने लगी कि भैया गलती से मेरी शादी एक गांडू से हुई है, इसलिए मेरी चूत अपनी चुदाई की बहुत भूखी है, आप प्लीज़ अपने लंड को इसमें डालकर मुझको शांत कर दे. अब मैंने उसके बूब्स को चूसना शुरू कर दिया और ज़ोर से दबाने भी लगा.

पूर्णिमा की माँ मेरी गांड को चाटने लगी और वो मुझसे बोली कि बेटा में तब तक तेरी गांड को चाट लूँ. फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है और में पूर्णिमा की भाभी के बूब्स को चूसता, चूमता हुआ नीचे उनकी चूत पर पहुंच गया और तब मैंने देखा कि उसकी चूत एकदम साफ थी और उसने अपनी चूत के सारे बाल पहले से ही साफ किए हुए थे. अब यह देखकर मैंने उसको बोला कि वो बेड पर लेट जाए और वो झट से बेड पर लेट गई और में उसकी रसभरी चूत को चाटने लगा.

इधर पूर्णिमा की माँ मेरी गांड के छेद को चाट रही थी और अब पूर्णिमा से भी रहा नहीं गया और वो भी अब बहुत जोश में आकर मेरे लंड को हिलाने सहलाने लगी, जिसकी वजह से हम सभी को बड़ा मज़ा आ रहा था. दोस्तों पूर्णिमा की माँ सबसे अच्छा कर रही थी और वो अपनी आधी जीभ को मेरी गांड के छेद में डाल रही थी और साथ में वो अपनी एक उंगली को भी मेरी गांड में डाल रही थी, यह काम मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, क्योंकि आज तक मेरी गांड में किसी ने भी अपनी उंगली नहीं की थी और पूर्णिमा एक अनुभवी रंडी की तरह मेरे लंड को चाटती जा रही थी, एक दो बार तो वो मेरे लंड से वीर्य निकालकर पी भी चुकी थी.

अब पूर्णिमा की भाभी भी बहुत सारा रस निकालने लगी. वो झड़ गई और मैंने अपना लंड पूर्णिमा के मुहं से बाहर निकाल लिया और तुरंत उसकी गीली चूत में डाल दिया और लंड चूत के अंदर जाते ही उस वजह से उसका चेहरा ख़ुशी से खिल गया और वो मुझसे कहने लगी कि भैया अब आप यह लंड कभी भी बाहर नहीं निकालना, इस पर अब मेरा पूरा हक़ है, आज से आप मेरी जमकर चुदाई करना, आप बहुत अच्छे हो और मुझे आज पूरी तरह से खुश संतुष्ट करना.

फिर मैंने उससे कहा कि तू मेरी रंडी है, तेरी चूत अब मेरी है और में इसकी हर रोज चुदाई करूंगा और में हर दिन तेरी चूत का रस ऐसे ही पी जाऊंगा और फिर में उसको ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदने लगा. फिर पूर्णिमा की माँ अपनी बारी का इंतजार कर रही थी और अब वो मुझसे पूछने लगी, बेटा क्या कभी तुमने अपनी गांड मरवाई है?

में उस समय भाभी की चुदाई कर रहा था, तो मैंने कहा कि नहीं. फिर वो बोली कि तुम भी एक बार मरवाकर तो देख लो, इसमें कितना मज़ा आता है? तो मैंने कहा कि साली तू मुझे अपनी गांड मरवाने को बोल रही है, चल भाग जा यहाँ से.

फिर वो बोली कि बेटा इतना गुस्सा क्यों होते हो? में तो तेरे मज़े के लिए कह रही थी, क्यों वैसे जब में तेरी गांड के छेद में अपनी उंगली डाल रही थी, तब तो तूने मुझसे कुछ भी नहीं कहा? अब मैंने उससे पूछा तो तू मुझसे क्या चाहती है हरामजादी? तब वो बोली क्या में तेरी गांड के छेद में अपनी उंगली डाल दूँ.

फिर मैंने उससे कहा कि हाँ चल डाल दे, उसमें पूछने की कौन सी बात है? दोस्तों अब तक पूर्णिमा की भाभी तीन चार बार झड़ चुकी थी और उसकी चूत से इतना रस निकल रहा था कि आप पूछो मत और उधर पूर्णिमा की माँ मेरी गांड में अपनी उंगलियां डालती जा रही थी और वो साथ में मेरे आंड को भी दबा रही थी और धीरे धीरे उसने अपनी तीन उंगलियों को मेरी गांड में डाल दिया, जिसकी वजह से मुझे भी अब उसके इस काम से मज़ा आने लगा था.

फिर

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